लाहौर। पंजाब विश्वविद्यालय में सुरक्षा प्रदान करने के बजाय प्रशासन ने मीडिया कवरेज को प्रतिबंधित कर दिया है ताकि अंदर होने वाली किसी भी अप्रिय घटना का बाहर के लोगों को पता नहीं चल पाए। 24 मार्च को पंजाब विश्वविद्यालय में डीन के साथ हुई बैठक के बाद कुलपति प्रोफेसर जाफर मुईन नासिर ने निर्देश दिया कि पत्रकारों को विश्वविद्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया जाए।
यह निर्णय इस्लामिक जमात तलबा (आईजेटी) द्वारा पाकिस्तानी शिक्षा विकास आंदोलन (पीईडीएम) की ओर से 21 मार्च को आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में कथित रूप से हमला किए जाने के लिया गया जिसमें दर्जनों छात्रों को घायल हो गए थे। बैठक में उपस्थित सूत्रों के अनुसार उपकुलपति प्रवेश को सीमित करना चाहते थे।
मीडिया प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से आया क्योंकि कई पत्रकारों को प्रवेश करने से रोक दिया गया था। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तरह के प्रतिबंध से इनकार किया है। पंजाब विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने एक बयान के माध्यम से मीडिया पर प्रतिबंध के बारे में आ रही ख़बरों को अफवाह बताया। दो छात्र संगठनों के बीच हालिया संघर्ष को उजागर करने में मीडिया की भूमिका सराहनीय थी।
उन्होंने कहा कि प्रेस ने कहानी का सही पक्ष रखा था। विश्वविद्यालय की घटनाओं को कवर करने के लिए उनको आमंत्रित किया जाएगा। कोई भी रिपोर्टर जो विभिन्न मुद्दों पर रिपोर्ट बनाना चाहता हैं, को केवल जनसंपर्क अधिकारी से संपर्क करना होगा और उनके अनुमोदन के बाद उसे अपने कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति होगी।
मीडिया पर प्रतिबंध का निंदा करते हुए लाहौर शैक्षणिक रिपोर्टर एसोसिएशन (लीरा) के अध्यक्ष सय्यद सजद काजमी ने कहा कि कालेज को ऐसी बातों से दूर रखने के बजाय उपकुलपति ने पत्रकारों को रोकना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि मीडिया पर प्रतिबंध लगाना न केवल अन्यायपूर्ण बल्कि अवैध भी है। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक फैसले लेने और सिंडीकेट द्वारा उन्हें मंजूरी मिलने के लिए कुलपति कानून द्वारा बंधे थे।