2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ आ सकती हैं. दिल्ली की 7 लोकसभा सीटें बचाने के लिए और बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए दोनों पार्टियां साथ आ सकती हैं.
आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने कहा कि पर्दे के पीछे दोनों पार्टियों में बातचीत हो रही है. जबकि अभी तक दोनों की तरफ से कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.
इस पर पहले बार तब मुहर लगी जब आम आदमी पार्टी ने विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लिया. इसमें कांग्रेस भी शामिल हुई थी.
आप के सूत्रों की तरफ से बताया गया कि आप के शीर्ष नेतृत्व और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच बातचीत हो रही है.
अगर ऐसा होता है तो राजनीतिक पंडितों के लिए ये कुछ चौकाने से कम नहीं है. आप और कांग्रेस दोनों दिल्ली और पंजाब में एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं. अगस्त तक, अरविंद केजरीवाल कह रहे थे कि कांग्रेस के लिए वोटिंग करना बीजेपी के लिए वोट करने जैसा है.
आम आदमी पार्टी ने अगस्त में राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन के लिए हुए चुनाव का बहिष्कार किया था. उनका कहना था कि कांग्रेस ने उनसे इस पर समर्थन नहीं मांगा जिसके बाद पार्टी ने यह फैसला लिया है.
सूत्र के मुताबिक, कांग्रेस और आप के बीच दिल्ली में सीट बंटवारे को लेकर विवाद हो सकता है. सात लोकसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें देना चाहती है.
सात में से छह सीटों के लिए आम आदमी पार्टी प्रभारी घोषित कर दिए हैं. ये प्रभारी ही पार्टी उम्मीदवारों की भी घोषणा करेंगे. मतलब आप को अपने एक या दो उम्मीदवारों से पूछना है जिन्होंने खुद को प्रचार अभियान से अलग कर लिया है. खास बात है कि कांग्रेस के लोकल नेता आप के साथ हाथ नहीं मिलाना चाहते, लेकिन टॉप नेतृत्व बिल्कुल इससे अलग सोच रहा है. दिल्ली में आप और कांग्रेस का एक जैसा वोटर बेस है.