लोक पाल सर्च कमेटी पैनल तश्कील देने की ज़रूरत ही नहीं थी: थॉमस

जस्टिस के टी थॉमस जिन्होंने लोक पाल सर्च कमेटी पैनल के सरबराह की हैसियत से पीर को अपना इस्तीफ़ा पेश करदिया था, ने आज एक अहम बयान देते हुए कहा कि वो अपने ओहदा से इस लिए दस्तबर्दार होगए कि जब उन्होंने पैनल में अपने रोल का बग़ौर मुताला किया तो उन्हें ये महसूस हुआ कि मज़ीद किसी पैनल की तश्कील की ज़रूरत नहीं थी।

उन्होंने कहा कि लोक पाल सर्च कमेटी स‌लेक्ट कमेटी का तआवुन करने के लिए तश्कील दी गई थी और सर्च कमेटी को सिर्फ़ यही इख़तियार था कि वो हुकूमत की जानिब से फ़राहम करदा फ़हरिस्त में से ही किसी का इंतिख़ाब करे। मैं ने जब अपने रोल का बग़ौर मुताला किया तो उसे गैरज़रूरी समझा। इसी लिए इस्तीफ़ा पेश करदिया।

उनकी समझ में ये नहीं आया कि आख़िर अवामी फंड्स के खर्च‌ से दूसरी कमेटी तश्कील देने की क्या ज़रूरत थी ? याद रहे कि मारूफ़ ज्यूरिस्ट फ़ाली नरीमान के नक़श-ए-क़दम पर चलते हुए सुप्रीम कोर्ट के साबिक़ जज जस्टिस के टी थॉमस ने लोक पाल सर्च कमेटी पैनल के सरबराह की हैसियत से पीर के रोज़ इस्तीफ़ा देदिया था।

वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर को एक मकतूब तहरीर करते हुए थॉमस ने कहा कि उन्हें ये खबर‌ देते हुए बेहद अफ़सोस होरहा है कि वो सर्च कमेटी के सदर नशीन की हैसियत से अपनी ख़िदमात फ़राहम नहीं करसकते और ओहदा से दस्तबर्दार होरहे हैं। इस फैसले से अगर कोई तकनीकी मुश्किलात पेश आती हो तो इस के लिए मैं माज़रत ख़ाह हूँ।