वक़्फ़ बोर्ड की कारकर्दगी बेहतर बनाने में हुकूमत को दुशवारी

तेलंगाना हुकूमत औक़ाफ़ी जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ और नाजायज़ क़ब्ज़ों की बर्ख़ास्तगी में अगर्चे संजीदा है लेकिन मुक़ामी सियासी जमात के दबाव के तहत वो इस सिलसिले में किसी भी जुरातमंदाना इक़दाम से गुरेज़ कर रही है। गुज़िश्ता 8 माह के दौरान हुकूमत ने वक़्फ़ बोर्ड पर दियानतदार और फ़र्ज़शनास ओहदेदारों के तक़र्रुर के ज़रीए करोड़ों रुपये मालियती जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ की कोशिश की लेकिन बोर्ड के काम काज में सियासी मुदाख़िलत के सबब हुकूमत का मक़सद पूरा नहीं हो पा रहा है।

हुकूमत में शामिल अफ़राद निजी गुफ़्तगु में इस बात का एतराफ़ कर रहे हैं कि वक़्फ़ बोर्ड के मौजूदा निज़ाम को दुरुस्त करने के लिए कमिशनेरीएट का क़ियाम नागुज़ीर है ताहम इस तजवीज़ की मुक़ामी सियासी जमात की जानिब से मुख़ालिफ़त की जा रही है ताकि बोर्ड पर तसल्लुत बरक़रार रखा जाए। स्पेशल ऑफीसर की हैसियत से शेख़ मुहम्मद इक़बाल (आई पी एस ) ने अहम जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ के सिलसिले में जो क़दम उठाए थे उन कार्यवाईयों को रोकने के लिए हर मुम्किन कोशिश की जा रही है।

मौजूदा स्पेशल ऑफीसर जलाल उद्दीन अकबर (आई एफ़ एस) ने साबिक़ा कार्यवाईयों को जारी रखने की कोशिश की और बाअज़ अहम जायदादों के सिलसिले में जुरातमंदाना फ़ैसले किए जिस से नाराज़ होकर मुक़ामी जमात अपनी पसंद के ओहदेदार को स्पेशल ऑफीसर मुक़र्रर कराने के लिए हुकूमत से रुजू हो चुकी है।

बताया जाता है कि इस जमात ने चीफ़ मिनिस्टर को बाअज़ ऐसे ओहदेदारों के नाम पेश किए जिन्हें वो स्पेशल ऑफीसर के ओहदा पर देखना चाहती है और वो ओहदेदार उन की मर्ज़ी के मुताबिक़ काम कर सकते हैं। जनाब जलाल उद्दीन अकबर को स्पेशल ऑफीसर वक़्फ़ बोर्ड की ज़ाइद ज़िम्मेदारी दी गई जिस की मीयाद 6 माह है।

कमिशनेरीएट के तहत असिसटेंट कमिश्नर्स, डिप्टी कमिश्नर्स और दीगर कैडर के मातहत ओहदेदार होते हैं जो सरकारी मह्कमाजात और इदारों की तरह क़्वाइद के मुताबिक़ ख़िदमात अंजाम देते हैं। वक़्फ़ बोर्ड की बेहतरी और औक़ाफ़ी जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ के लिए कमिशनेरीएट की तशकील ही वाहिद हल है।