मालेगाँव, ०६ जनवरी: (एजैंसीज़) कांग्रेस आने वाले असैंबली इंतिख़ाबात ख़ासकर उत्तर प्रदेश में अपने मौक़िफ़ को बेहतर बनाने कोई कसर बाक़ी नहीं रख रही है और मुस्लमानों को क़रीब करने के लिए हर मुम्किना कोशिश की जा रही है लेकिन मुस्लिम क़ाइदीन वक़्फ़ तरमीमी बिल हक़ तालीम क़ानून और डायरेक्ट टैक्सेस कोड बिल के ख़िलाफ़ मुल्क गीर मुहिम चला रहे हैं।
इस से हुक्मराँ पार्टी के इस दावे पर शुबा पैदा होता है कि आया मुस्लिम तबक़ा इस पार्टी से वाबस्ता है या नहीं। यू पी ए हुकूमत के ख़िलाफ़ अपनी तेज़ निगाही को बरक़रार रखते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सैक्रेटरी मौलाना सय्यद मुहम्मद वली रहमानी जो मालेगाँव के दौरा पर हैं , कांग्रेस को शदीद तन्क़ीद का निशाना बनाया कि इस ने बोर्ड की जानिब से पेश करदा वक़्फ़ तरमीमी बिल 2010 में तरमीमात की तजावीज़ को नजरअंदाज़ कर दिया है।
दीगर पैनलों और कमेटीयों से मुताल्लिक़ भी तजावीज़ को ख़ातिर में नहीं लाया गया। एक तरफ़ कांग्रेस के वुज़रा दावा कररहे हैं कि हुकूमत वक़्फ़ जायदादों के ग़लत इस्तिमाल को रोकने केलिए इक़दामात कररही है, दूसरी जानिब यही वुज़रा मुस्लमानों के देरीना मुतालिबात और सिफ़ारिशात को नजरअंदाज़ कररहे हैं।
मौलाना वली रहमानी ने मालेगांव में एक रिया ली से ख़िताब करते हुए कहा कि हम एक मज़बूत वक़्फ़ क़ानून के ख़ाहां हैं। इस रैली में हुकूमत पर दबाव डाला गया कि वो हक़ तालीम क़ानून 2009-ए-, वक़्फ़ तरमीमी बिल 2010-ए-और मुजव्वज़ा डायरेक्ट टैक्स कोड बिल में तरमीमात लाए।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ज़ाइद अज़ एक दहिय से वक़्फ़ क़ानून को मज़बूत बनाने और वक़्फ़ इमलाक के तहफ़्फ़ुज़ का मुतालिबा कर रहा है। मुल्क भर में हज़ारों एकड अराज़ी फैली हुई है जिस में से ज़्यादा तर अराज़ी पर नाजायज़ क़बज़े हैं या फिर किराया दारों की जानिब से बहुत ही कम किराया अदा किया जाता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने वक़्फ़ बिल में तरमीमात के इलावा ओक़ाफ़ी जायदादों पर किरायादार की हैसियत से रहने वालों की जानिब से मुनासिब किराया अदा करने केलिए पाबंद किया जाए। 800 साला क़दीम हिंदूस्तानी वक़्फ़ बोर्ड की जायदादें अदम तहफ़्फ़ुज़ का शिकार हैं।
डिप्टी चेयरमैन राज्य सभा और चेयरमैन जवाइंट पारलीमानी कमेटी बराए वक़्फ़ के रहमान ख़ान ने कहा था कि मुल्क के मुख़्तलिफ़ हिस्सों में जुमला 45 मुक़ामात पर वक़्फ़ बोर्डस काम कररहे हैं।
ये वक़्फ़ बोर्ड रेलवे और डीफ़ैंस के बाद तीसरा सब से बड़ा जायदाद रखने वाला इदारा है जिस का तख़मीना तीनता 4 लाख एकड़ अराज़ी लगाया गया है। वक़्फ़ क़ानून को पहली मर्तबा 1954 में मुतआरिफ़ किराया गया था। इस के बाद तीन मर्तबा 1969, 1984 और 1995 में मुख़्तलिफ़ तरमीमात की गईं।
इंतिख़ाबी मंशूर में किए गए वादा के मुताबिक़ कांग्रेस ने फिर एक बार वक़्फ़ क़ानून में तरमीमात की तजवीज़ रखी थी।