वज़ीरे आला ने कहा कि यौमे आज़ादी पर गांधी मैदान से सरकारी स्कूलों मे पढ़नेवाली पहली से दसवीं तक की तालेबाओं के लिए वज़ीफ़ा का ऐलान की। इसके पीछे असल मक़सद यह रहा कि इसमें नसल, मसलिक, कम्यूनिटी या एकतेसादी पश मंज़र से कोई लेना-देना नहीं है। मुआशरे के तमाम तबके की तालेबाओं को इसका फायदा मिलेगा। फायदा पाने की एक ही शर्त है कि तालेबा सरकारी स्कूल में पढ़ रही हो।
यह इंकलाबी कदम है। इससे रियासत में ख़वातीन तालिम को बढ़ावा मिलेगा। वज़ीरे आला लड़कियों की पोशाक मंसूबा शुरू की गयी और दख्ला के वक़्त नकद दिया गया। पहली से आठवीं तक की तालेबाओं को यह रकम दी जा रही है। लड़कियों की साइकिल मंसूबा 2007-08 में शुरू हुई थी। यह मंसूबा समाजी तबदीली का अनसिर बना। इसके बाद स्कूल छोड़नेवाली लड़कियों की तादाद कम हो गयी। साल 2012-13 में 4,92,899 लड़कियों समेत 9,61,109 तालिबी इल्म को इससे फायदा हुआ। मंसूबा शुरू होने के वक़्त महज़ 1,56,092 लड़कियों को फायदा मिला था। गुजिशता माली साल तक 47,44,966 तालिबे इल्म को फायदा मिला, जिनमें 24,57,539 लड़कियां हैं।