सुलतान मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह के गुम्बद पर जगह जगह पीपल के पौधे उग आए थे । चलिए । देर आयद दर आयद के मिस्दाक़ आख़िरकार आरक्योलोजी के महिकमा इस 140 फुट बुलंद गुम्बद पर से पीपल के इन ख़ुद रो पौधों को निकाल दिया ।
सुलतान क़ुली क़ुतुब शाह , सुलतान इबराहीम क़ुतुब शाह के फ़र्ज़ंद सोम थे । जो वालिद की वफ़ात के बाद 988 ह 1580 -ए-में तख़्त नशीन हुए । उन के दौर-ए-हकूमत में क़ुतुब शाहिया हुकूमत उरूज पर थी उन्हें तामीरात का बेहद शौक़ था चुनांचे शहर हैदराबाद इन्ही का आबाद किया हुआ है ।
चार कमान , चारमीनार , जामि मस्जिद बलदा , दारुल शफ़ा-ए-वग़ैरा इमारतें इसी बादशाह की यादगार हैं । इस गुम्बद को तो क़ुली क़ुतुब शाह ने अपनी ज़िंदगी ही में तामीर करा लिया था ।
क़ुली क़ुतुब शाह ने 31 बरस तक हुक्मरानी की और 49 बरस की उम्र 1020/1611 में इंतिक़ाल फ़रमाया । उन का गुम्बद और चबूतरा बलिहाज़ रिफ़अत-ओ-शान-ओ-शौकत फ़ौक़ियत रखता है ज़मीन से चबूतरा का अरतक़ाअ 13 फुट 6 इंच है हर मक़बरा का हर बैरूनी हिस्सा का हर ज़िला लंबाई में 200 फिट और दूसरे चबूतरे का हर ज़िला 126 फुट 3 इंच है ।
और मक़बरे के बैरूनी हिस्सा का हर हिस्सा का तूल 71 फुट 3 इंच है । सतूनों की बुलंदी 26 फुट है । गुम्बद में दाख़िला के जुनूबी और मशरिक़ी सिम्त पर दो दरवाज़े हैं गुम्बद के अंदर हर ज़िला का तूल 33 फुट 3 इंच है । बाशाह की असल क़ब्र सरदाब में है जहां जाने का रास्ता ऊपर और नीचे दोनों जानिब है ।
बहरहाल क़ारईन जिस बादशाह ने शहर बनाया था इस का दिल से एहतिराम तो हमारा फ़र्ज़ है । काफ़ी अर्सा से उन के गुम्बद पर जगह जगह पीपल के दरख़्त उग गए थे जिस से गुम्बद को ख़तरा लाहक़ हो गया था ।
महिकमा आरक्योलोजी ने आख़िर-ए-कार इस 140 फुट बुलंद गनबद पर अपने मख़सूस मुलाज़मीन को जो इस काम में महारत रखते हैं काम पर लगाया ।
गुम्बद पर जब चढ़ना होता है तो सब से पहले सिंगल गोवा डाला जाता है जो निहायत ख़तरनाक काम है । इस काम में महिकमा आरक्योलोजी के जो 4 मुलाज़मीन थे उन के नाम अबदुलजब्बार , अबदुलकरीम , इमाम उद्दीन , कर्मणा हैं इन का कहना है कि गुम्बद पर उगे हुए इन दरख़्तों को निकाल कर एक ख़ास किस्म का कैमीकल डाला जाता है ताकि दुबारा वहां कोई पौदा ना उग सके ।
अबदुल जब्बार का कहना है कि एक हाथ में कुल्हाड़ी दूसरे हाथ में रस्सी , ज़मीन से 140 फुट की बुलंदी , मत पूछिए कि ज़हन में कैसे कैसे ख़्याल आते हैं । जब हम ज़मीन पर आते हैं तो अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं । इस काम को Conservation सेक्सन ने अंजाम दिया । महिकमा आरक्योलोजी को चाहीए कि इस तरह गनबदां क़ुतुब शाही में और कई गुम्बद हैं जिन पर इस तरह के पीपल के दरख़्त उग चुके हैं इन का काम भी पूरा किया जाना चाहीए ।