हैदराबाद 13 मई: सनअती इदारा सीआईआई के सदर नोशाद फ़ोर्ब्स ने कहा कि क़र्ज़ ना दहिंदगान के बारे में उनकी पुर तैश तर्ज़-ए-ज़िदंगी या फिर उनके अख़लाक़ी नुक्ता-ए-नज़र की बिना पर कोई नतीजा नहीं किया जाना चाहीए। उन्होंने विजय मलिया की बैंकों को 9,000 करोड़ रुपये क़र्ज़ की अदमे अदाइगी और मुल्क से फ़रारी के पस-ए-मंज़र में ये बात कही।
उन्होंने कहा कि बैंक्स अपने बक़ायाजात की हुसूलयाबी के लिए जो कोशिशें कर रहे हैं, सीआईआईएस की भरपूर ताईद करती है।
उन्होंने कहा कि क़ानूनी, अख़लाक़ी और तिजारती नुक्ता-ए-नज़र होते हैं, विजय मलिया का मुआमला सिर्फ क़ानूनी नुक्ता-ए-नज़र से देखा जाना चाहीए।