मुक़ामी निकाय कोटे से बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के लिए सात जुलाई को होने वाले इंतिख़ाब को लेकर हालात और उलझ गई है। सुप्रीम कोर्ट में बुध को सुनवाई हुई। अदालत ने सरकार और एलेक्शन कमीशन को आपस में मशवरा कर एख्तेताम के बारे में जुमा तक इत्तिला करने को कहा है। चीफ़ जस्टिस एच.एल. दत्तू की सदारत वाली बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट के हिदायत की खुसुसियात नुक्सान पर गौर किए बगैर वह फौरन कोई हुक्म नहीं देगा।
हाईकोर्ट के हुक्म के खिलाफ दायर दरख्वास्त पर कमीशन की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील अशोक देसाई से कहा, सिर्फ हाईकोर्ट के हुक्म पर रोक लगाकर हम कोई राहत नहीं दे सकते। अगर हम रोक लगाएंगे तो फिर इंतिख़ाब पर भी रोक लगेगी और यह भी हो सकता है कि निपटारे के बाद ही इंतिख़ाब हो पाए।
ऐसे में आप दोनों आपस में मुतबादिल ख्याल कर वाजेह तौर पर हमें जुमा तक इत्तिला करें कि क्या करना है। इस पर देसाई ने कहा, हाईकोर्ट का हुक्म मुनासिब नहीं है, क्योंकि इससे मेम्बर के हक़ का एहतेराम नहीं होता है। इसके अलावा, बाद में जिसे रुक़्नियत मिलेगी, उसे भी तय वक़्त का मुद्दत नहीं मिलेगा। याद रहे कि हाईकोर्ट ने 24 सीटों का इंतिख़ाब एक साथ छह साल के लिए कराने की बजाय एक तिहाई सीटों के लिए इंतिख़ाब कराने का हुक्म दिया है। साथ ही कमीशन को इसके लिए नज़र सानी नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है।
बेंच ने वकील की दलील पर इत्तिफ़ाक़ राय जताते हुए कहा कि इस मामले में अदालत फैसला देगी। लेकिन इसके लिए हमें रोक लगानी पड़ेगी और ऐसे में विधान परिषद् के इंतिख़ाब नहीं हो पाएंगे। अगर दोनों फ़रीक़ों की मंजूरी हो तो अदालत दो माह के लिए रोक लगा दे। लेकिन जवाब में कमीशन और रियासती हुकूमत ने रोक नहीं लगाने पर मंजूरी जताई। गौरतलब है कि एलेक्शन कमीशन और बिहार विधान परिषद की तरफ से अलग-अलग दरख्वास्त की गई है। बेंच ने कमीशन, काउंसिल और पीआईएल के दरख्वास्त गुज़ार को जुबानी तौर से कहा कि कानूनी तजवीज के तहत इंतिख़ाब की क्या अमल हो इस बारे में सभी अपना-अपना सुझाव जुमा को पेश करें।