वोटर की सर्दमहरी और इंतिख़ाबात में इन की शिरकत के फ़ुक़दान पर फ़िक्रमंद चीफ़ इलैक्शन कमिशनर वि ऐस संपत ने आज कहा कि कोई भी जमहूरीयत की बक़ा केलिए अवाम की मुनासिब नुमाइंदगी लाज़िमी होती है। ये निशानदेही करते हुए कि 281 मुलैय्यन अहल-ए-राय दहिंदों ने 2009 के आम इंतिख़ाबात(चुनाव) में अपने हक़ राय दही से इस्तिफ़ादा नहीं किया
उन्हों ने कहा कि ये अच्छी सूरत-ए-हाल नहीं है। उन्हों ने यहां यू एन डी पी के साथ तआवुन में तमाम तबक़ात की नुमाइंदगी वाली राय दही और इंतिख़ाबी शिरकत के बारे में सियोल सोसाइटी की तंज़ीमों के साथ मुशावरत पर दो रोज़ा वर्कशॉप में कहा, कोई भी जमहूरीयत समाज के मुख़्तलिफ़ तबक़ात से ताल्लुक़ रखने वाले अवाम की मुनासिब नुमाइंदगी के बगै़र क़ायम नहीं रह सकती है।
जमहूरीयत का मफ़हूम शिराकती हुक्मरानी है और इस लिए इंतिख़ाबात में हर किसी की शमूलीयत होना पड़ेगा, जिन में ख़ुसूसी तवज्जु के मुतक़ाज़ी गोशे शामिल हैं। संपत ने कहा कि चैलेंज ये है कि अवाम को बयालट के ज़रीया अपनी आवाज़ उठाना सिखाया जाय और कमीशन ने लापता वोटरों और राय दही से गुरेज़ करने वालों की निशानदेही करने केलिए कई इक़दामात किए हैं ताकि उन्हें असल धारे में लाने में मदद की जा सके।