वज़ीफ़ों और राशन कार्ड की इजराई से सर्वे का कोई ताल्लुक़ नहीं

वज़ीर फाइनैंस ई राजिंदर ने वाज़िह किया कि तेलंगाना हुकूमत की तरफ से किए गए मआशी और समाजी सर्वे से राशन कार्ड की इजराई और वज़ाइफ़ की मंज़ूरी का कोई ताल्लुक़ नहीं है।

उन्होंने कहा कि तेलंगाना में अवाम की तालीमी, मआशी और समाजी सूरत-ए-हाल का जायज़ा लेने के लिए ये सर्वे किया गया जिस के तहत मुख़्तलिफ़ फ़लाही स्कीमात के लिए मुस्तहिक़ अफ़राद की निशानदेही की जाएगी।

वज़ीर फाइनैंस ने वकफ़ा-ए-सवालात के दौरान रेवंथ रेड्डी और दुसरे अरकान के सवाल पर वज़ाहत की के हैदराबाद और अज़ला में जिन ख़ानदानों का सर्वे नहीं हुआ है उन्हें भी जल्द सर्वे में शामिल किया जाएगा और उन के लिए बहुत जल्द अलाहिदा सर्वे मुहिम चलाई जाएगी।

वज़ीर फाइनैंस के मुताबिक़19 अगस्ट को तेलंगाना में किए गए सर्वे पर 20 करोड़ रुपये का ख़र्च आया है और हर ज़िला में 2करोड़ रुपये ख़र्च किए गए। उन्होंने इस बात की तरदीद की के सर्वे की तफ़सीलात की बुनियाद पर सरकारी स्कीमात के मुस्तहिक़ अफ़राद का इंतिख़ाब नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि एक करोड़, एक लाख 93 हज़ार 27 ख़ानदानों का सर्वे मुकम्मिल करलिया गया है। उन्होंने कहा कि नई हुकूमत की तशकील के बाद तेलंगाना की तामीर-ए-नौ के लिए मालूमात का हुसूल ज़रूरी था क्युंकि हुकूमत के पास अवाम के समाजी और मआशी मौक़िफ़ के बारे में मुनासिब आदाद-ओ-शुमार नहीं हैं। सर्वे के इनइक़ाद का मक़सद नई स्कीमात की तैयारी को मल्हूज़ रखना है।

साबिक़ में ये देखा गया कि आबादी से ज़्यादा राशन कार्ड जारी किए गए। उन्होंने बताया कि 4 लाख मुलाज़िमीन ने सर्वे में हिस्सा लिया और एक दिन में इस काम की तकमील की गई जिसे वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी ने भी सराहा है लेकिन अफ़सोस कि अप्पोज़ीशन जमातें सर्वे पर तन्क़ीद कररही हैं।

उन्होंने एतेराफ़ किया कि हैदराबाद और बाज़ दुसरे इलाक़ों में मुम्किन है के कई ख़ानदान सर्वे में शामिल नहीं किए गए। इस सिलसिले में ग्रेटर हैदराबाद मुंसिपल कारपोरेशन के ओहदेदार तफ़सीलात इकट्ठा कररहे हैं।

उन के लिए अलाहिदा इंतेज़ाम किया जाएगा। राजिंदर ने कहा कि राशन कार्ड की इजराई ज़ईफ़ों, बेवाओं और माज़ूरिन के लिए वज़ाइफ़ की इजराई की मंज़ूरी का सर्वे से कोई ताल्लुक़ नहीं। सर्वे की रिपोर्ट की बुनियाद पर राशन कार्ड और वज़ाइफ़ जारी नहीं किए जाऐंगे। हुकूमत इस सर्वे के ज़रीये मुस्तहिक़ ख़ानदानों को हुकूमत के फ़वाइद से महरूम करना नहीं चाहती।