नई दिल्ली, 08 मार्च: (पी टी आई) हुकूमत ने पासपोर्ट, पेंशन, पैदाइश-ओ-मौत सर्टीफ़िकेट्स जैसी ख़िदमात की बरवक़्त अंजाम दही के मक़सद से तैयार किये गये बिल को मंज़ूरी दी है। शहरियों शहरीयों को बरवक़्त ख़िदमत फ़राहम करने जैसे उमूर पर तवज्जा दी गई है।
शहरीयों के हुक़ूक़ बराए बरवक़्त बेहतरीन ख़िदमात की फ़राहमी और उनकी शिकायात के अज़ाला बिल 2011 को वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह की ज़ेर-ए-क़ियादत मुनाक़िदा मर्कज़ी काबीना के इजलास में आज मंज़ूरी दी गई। इस बिल के नाफ़िज़ अल-अमल के होने के साथ ही ऐसे सरकारी ओहदेदार जो अपने फ़राइज़ से तक़ाबुल करते हैं अवाम की बरवक़्त ख़िदमत करने से गुरेज़ करते हैं उनके ख़िलाफ़ 50 हज़ार तक का जुर्माना आइद किया जाएगा।
इस बिल में ये लाज़िमी क़रार दिया गया कि अवामी अथॉरीटी को शहरीयों के बेहतर ख़िदमत अंजाम देनी होगी। वक़्त पर और बेहतरीन
काम की तकमील ही इनका फ़र्ज़ होगा। शहरीयों की किसी शिकायात का अज़ाला करना सरकारी ओहदेदारों की ज़िम्मेदारी है।
ज़राए ने कहा कि बिल के मक़ासिद में एन आर आई के मसाइल को भी शामिल किया गया है ताकि उन्हें भी वक़्त पर सरकारी ख़िदमात फ़राहम की जाएं और पेंशन, अवामी शिकायात अज़ाला और वज़ारत क़ानून से वाबस्ता उमूर को मूसिर ढंग से अंजाम दिया जाएगा।
मुजव्वज़ा क़ानून मुख़्तलिफ़ नज़म-ओ-नसक़ , इस्लाहात के महकमाजात और अवामी शिकायात के अज़ाला वाले महकमाजात तक नाफ़िज़ अल-अमल होगा। सरकारी ओहदेदारों को ये इख्तेयार भी दिया गया है कि वो अवाम की शिकायात या उनकी ज़रूरीयात को पूरा करने के लिए काल सेंटर, कस्टमर केयर सेंटर, हेल्प डेस्क, पीपल्ज़ स्पोर्ट सिस्टम क़ायम करें ताकि अवाम को वक़्त पर सरकारी सर्विस फ़राहम करने को यक़ीनी बनाया जाये।
मर्कज़ी सतह पर और हर रियासत में अवामी शिकायात अज़ाला कमीशन भी क़ायम किया जाये। इस बिल के दफ़आत के मुताबिक़ कोई शख़्स नज़म-ओ-नसक़ के फ़ैसले से नाराज़ हो तो वो लोक पाल के सामने अपील दाख़िल कर सकता है या रियासतों में लोक आयुक्त से रुजू हो सकता है।
मर्कज़ और रियासती हुकूमतों दोनों की जानिब से फ़राहम की जाने वाली ख़िदमात शहरीयों के लिए है और ये बरवक़्त होनी चाहिऐं। गुज़शता माह पार्लीमेंट के मुशतर्का सेशन से ख़िताब करते हुए सदर जम्हूरिया प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि उनकी हुकूमत इस सिलसिले में एक क़ानून लाने की तजवीज़ रखती है जो हुकूमत के लिए अव्वलीन तर्जीह की हैसियत रखता है।
इस बिल को लोक सभा में दिसंबर 2011 को मुतआरिफ़ किया गया था इसके बाद काबीना को मंज़ूरी देने में 15 माह का वक़्त दरकार हुआ। अगरचे कि कई रियासतों में अवाम को बरवक़्त ख़िदमत फ़राहम करने का इंतेज़ाम किया गया है, ताहम कई गोशों से शिकायत की गई है।