हैदराबाद – 16 फरवरी – रूस के उरल कोहिस्तान पर फ़जा में शहाबे साकिब फट पड़ने के व़ाकिये की जो तस्वीरें मीडिया में आयी हैं, वो कई सारी कहानियाँ कहती हैं। हैरतअंगेज़ बात यह है कि ये तस्वीरें सियासत के कैलिग्रैफी स्टूडियो में महफ़ूज एक पेंटिंग से बिल्कुल हू ब हू लगती हैं। यह पेंटिंग क़ुराने पाक की सूरे रहमान की आयत 35 يرسل عليكما شؤاظ من النار و نحاس فلا تنتصرا ن `युरसलु अलैकुमा शुवाज़ुम मिन-नारिंव व नुहासुन फला तनतसिरान’ के मफ़हूम को पेश करती है।
मोहम्मद अब्दुल लतीफ फाऱूकी ने यह पेंटिंग त़करीबन 6 महीने पहले बनाई थी, जिस पर क़ुरान की वो आयत भी दर्ज है, जिसका तर्जुमा है, तुम दोनों (जिन वो इन्सान) पर (कियामत के दिन) आग का शोला और धुआँ छोड़ा जाएगा, फिर उसको तुम हटा न सकोगे। ..एक और जगह तर्जुमा कुछ इस तरह है कि जब तुम पर आग और धुआँ छोड़ दिया जाएगा, फिर तुम बचने के नहीं।
क़ाबिले जिक्र बात है कि रूस में शहाबे साकिब फट पड़ने s इस व़ाकिये से करीब 1500 लोग ज़ख्मी हो गए, जिनमें 200 से ज्यादा बच्चे हैं। शहाबे साकिब पटने का असर इतना तेज़ था की खिड़कियां टूट गईं और इमारतें हिल उठीं और लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई। बड़ी आवाज के बाद बड़ा शहाबे साकिब देखा गया। खबर है कि करीब 3000 हजार इमारतें मुतासिर हुई हैं।
एक और शख्स ने कहा, ‘चारो ओर अफरा-तफरी मच गई। लोगों को पता नहीं था कि क्या हो गया। सभी लोग अपने घरों की जानिब भागे और जानने की कोशिश करने लगे कि उनके करीबी लोग महफूज़ तो हैं।’
रूसी साइंस अकादमी का कहना है कि इस शहाबे साकिब का वजन करीब 10 टन था और ये ज़मीन के इल़ाके में कम से कम 54 हजार किलोमीटर फी घंटे की रफ्तार से दाख़िल हुआ।