मुहर्रम के चांद के नमूदार होते ही कल रात से लखनऊ में मजालिस-ओ-मातम का सिलसिला शुरू होगया। आज बाद नमाज़ मग़रिब शाही मुहर्रम की ज़रीह का जलूस रिवायती शाही शान-ओ-शौकत, अक़ीदत-ओ-एहतिराम के साथ आसफी इमाम बाड़े से बरामद हुआ, जिस को देखने के लिए हज़ारों अफ़राद आसफी इमाम बाड़े में जमा होगए।
ये शाही जलूस आसफी इमाम बाड़े से छोटे इमाम बाड़ा तक गया। शाही मुहर्रम की ज़रीह कई स्विफ्ट ऊंची बनाई गई। ये जलूस नवाबीन अवध के ज़माने से एक मुहर्रम को आसफी इमाम बाड़े से बिराम दुहोता आरहा है जिस में इलम ताबूत, हाथी, घोड़े वग़ैरह होते हैं। उसको देखने केलिए लोग दूर दूर से आते हैं।
दूसरी मुहर्रम को जलूस आमद क़ाफ़िला हुसैन कर्बला दियानत अलद विला में बाद नमाज़ मग़रिब कर्बला के ज़िमन में गशत करेगा। मुदरसा नाज़मीह में मौलाना हमीदुल हसन मुज्तहिद एक मुहर्रम ता नवीं महर्रम तक रोज़ाना मजलिस को ख़िताब करें। इमाम बाड़ा ज़फ़र आग़ाब में अशरा मजालिस से मौलाना कलब जोह नक़वी, इमाम बाड़ा आग़ा बाक़िर में मौलाना यतीम ज़ैदी, सआदत अली ख़ां के मक़बरे में मौलाना हबीब हैदर इमाम बाड़ा सिबतीन आबाद में मौलाना रज़ा हैदर शीया कॉलेज में मौलाना अली नासिर सईद तबक़ाती आग़ा वली अशरा मजालिस से ख़िताब कररहे हैं।
इमाम बाड़ा नाज़िम में एक मुहर्रम से नवीं मुहर्रम तक ऑल मुहम्मद की पसंदीदा ज़ाकरी के उनवान से पहली मजलिस के आज मुनीर आलम नहर लखनवी ने मर्सिया से ख़िताब किया। लखनऊ खास तौर पुराने लखनऊ में मुहर्रम के चांद के साथ ही शीया फ़िर्क़ा ग़म हुसैन में इस हद तक डूब जाता है कि शीया फ़िर्क़ा के नौजवान स्याह लिबास ज़ेब-ए-तन करते हैं।
औरतें सुहाग की चूड़ियां तक उतार देती हैं। सुबह से रात गए तक मजालिस और मातम का सिलसिला जारी रहता है। हर तरफ़ से या हुसैन या हुसैन की सदाएं सुनाई देती हैं। मुहर्रम के बैन नज़र पुराने लखनऊ समेत तमाम हस्सास मुक़ामात पर पुलिस का सख़्त बंद-ओ-बस्त किया गया है ताकि कोई शरपसंद जलूस-ओ-मजालिस में ख़लल डाल कर शहर के माहौल को ख़राब ना करसके।