शुमाल मग़रिब में जिस्मानी माज़ूर अफ़राद (विकलांगो) के लिए मौजूदा मुलाज़मतों का मंज़र नामा हौसलाशिकन ( निराशजनक) है एक तख़मीना ( अनुमान) के मुताबिक़ उन की 83 फ़ीसद तादाद बेरोज़गार है । बरसर ए कार ( काम पर लगे हुए/ कार्यरत) 6 फ़ीसद (%) माज़ूर अफ़राद ( विकलांगो) में ख्वातीन ( महिला) सिर्फ़ 4 फ़ीसद(%) हैं।
ग़ैर सरकारी तंज़ीम शिशू सरस्वती के तआवुन (मदद) से मुनाक़िदा ( आयोजित) एक सर्वे में जो टाटा इंस्टीटियूट आफ़ सोश्यल साइंसेस मुंबई ने किया है । तहक़ीक़ का बुनियादी मक़सद माज़ूर अफ़राद ( विकलांगो) की रोज़गार की ज़रूरीयात का तख़मीना ( अनुमान) था । ताकि रोज़गार के मसाइल ( समस्याओ) में मुनासिब दख़ल अंदाज़ी की जाए ।
शिशु सरस्वती के एक प्रोजेक्ट कोआरडीनेटर मोनी दीपा चौधरी ने कहा कि मुताला से पता चलता है कि माज़ूर अफ़राद (विकलांगो) की 51.7 फ़ीसद तादाद बसारत से महरूम है । 18.9 नक़ल-ओ-हरकत से माज़ूर हैं । 15.5 फ़ीसद समाअत से महरूम और 6.9 फ़ीसद ज़हनी माज़ूर हैं 5 फ़ीसद (%)बोलने में मुश्किल महसूस करते हैं और 1.9 फ़ीसद दिमाग़ी मरीज़ हैं ।
उन के 0.3 फ़ीसद नशव-ओ-नुमा से महरूम और कसीर जहती माज़ूर हैं । इस तहक़ीक़ से मज़ीद इन्किशाफ़ होता है कि कई तंज़ीमें क़ानून पी डब्ल्यू डी (PWD) 1995 के मुताबिक़ माज़ूरों (विकलांगो) को 3 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात ( आरक्षण) नहीं देतीं माज़ूर अफ़राद ( विकलांगो) की जुमला तादाद के निस्फ़ से ज़्यादा अफ़राद माज़ूरी के सर्टीफ़िकेट से महरूम हैं।