श्रीलंका के ख़िलाफ़ क़रारदाद की हिन्दुस्तान को ताईद करनी चाहिए थी

श्रीलंका के ख़िलाफ़ अमरीका की ज़ेरे सरपरस्ती क़रारदाद पर अक़वाम-ए-मुत्तहिदा के इंसानी हुक़ूक़ कमीशन ने राय दही से ग़ैर हाज़िर रहने के हकूमत-ए-हिन्द के मौक़िफ़ से इख़तेलाफ़ करते हुए मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस पी चिदंबरम ने आज कहा कि हकूमत-ए-हिन्द को उसकी ताईद करनी चाहिए थी।

वो एक प्रेंस काफ्रेंस से ख़िताब कररहे थे। उन्होंने कहा कि ये उनकी शख़्सी राय है। 23 ममालिक ने क़रारदाद की ताईद की और हिन्दुस्तान को भी उसकी ताईद करना चाहिए था चाहे इस से श्रीलंका को मायूसी क्यों ना होती। ये फ़ैसला विज़ारत-ए-ख़ारजा के ओहदेदारों की जानिब से किया जाना चाहिए था।

पी चिदंबरम तमिलनाडू के मुतवत्तिन हैं जहां श्रीलंका ने अक़िलियत त‌मिल नज़ाद अफ़राद ने जज़बाती अपील की है। उन्होंने निशानदेही की कि रियासत की सियासी पार्टीयों में इस मसले पर इत्तेफ़ाक़ राय नहीं है। कल हकूमत-ए-हिन्द राय दही के मौक़े पर ग़ैर हाज़िर रही थी। उन्होंने कहा कि ये क़रारदाद बैन-उल-अक़वामी तहक़ीक़ाती निज़ाम के दख़ल अंदाज़ी के रवैय्ये को मुसल्लत करती है जो मुफ़ीद नहीं है।

नापायदार और ग़ैर अमली है। हिन्दुस्तान ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ वोट दिया और इस पर जंगी जराइम के इर्तिकाब का इल्ज़ाम आइद किया। जबकि 2009 में दुश्मनीयां उरूज पर थीं लेकिन बादअज़ां इस ने तमिलनाडू की सियासी पार्टीयों से ताईद की ख़ाहिश की जिन में बरसर-ए-इक्तदार अन्ना डी एम के और डी एम के दोनों शामिल थीं।

चिदम़्बरम ने करूणानिधि के तबसरा का खैरमक़दम किया ताहम इज़हारे हैरत किया कि डी एम के क़ाइद कांग्रेस की सेकुलर साख पर एतराज़ कररहे हैं। हालाँकि उन्होंने कभी किसी फ़िक़ाप‌रस्त पार्टी की ताईद नहीं की। कांग्रेस हमेशा से सेकुलर ताक़तों के साथ रह चुकी है। नई दिल्ली से मौसूला इत्तेला के बमूजब कांग्रेस ने आज मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस पी चिदंबरम के इस तबसरे की हिन्दुस्तान को अमरीका ज़ेरे सरपरस्ती श्रीलंका के ख़िलाफ़ क़रारदाद की ताईद करनी चाहिए थी, एहमीयत घटाने की कोशिश की और कहा कि उन्हें अपने नुक़्ता-ए-नज़र के और फ़हम-ओ-फ़िरासत के इज़हार का हक़ हासिल है क्योंकि वो तमिलनाडू के मुतवत्तिन हैं लेकिन वो मुसावी तौर पर कांग्रेस के भी हैं। क़ौमी तनाज़ुर में वो कांग्रेस से इख़तेलाफ़ रखने का हक़ रखते हैं।

कांग्रेस के तर्जुमान अभीशकु सिंघवी ने कहा कि ख़ुद तमिलनाडू की सियासी पार्टीयों में इस मसले पर इत्तेफ़ाक़ राय मौजूद नहीं है। कल हकूमत-ए-हिन्द ने अमरीकी ज़ेरॆ सरपरस्ती पेश करदा क़रारदाद पर बैन-उल-अक़वामी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन ने राय दही से ग़ैर हाज़िरी का फ़ैसला किया था।