विश्व के दूसरे देशों की तरह भारत का पडोसी मुल्क श्रीलंका भी साम्प्रदायिकता की आग की चपेट में आ गया है, बीते कुछ दिनों में श्रीलंका के सिंहली समुदाय और वहां के मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी।

सिंहली समुदाय द्वारा मुसलमानों और उनके धार्मिक स्थलों पर किए गए हमलों के बाद श्रीलंका में आपातकाल घोषित कर दिया गया था।
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यह हिंसा श्रीलंका में 5 मार्च को शुरू हुई थी, जिसके बारे में पीड़ित मोहम्मद थाइयूप बताते हैं कि उनकी दुकान श्रीलंका के कैंडी ज़िले के दिगाना में है, जहां हाथ में कांच की टूटी बोतल और डंडे लिए भीड़ ने उनकी दुकान को लक्ष्य बनाया था।

उन्होंने कहा, “मैं यहां 36 साल से रहता हूं मैंने आज से पहले कभी इस तरह का कुछ होते नहीं देखा है। स्थानीय सिंहली लोगों की मदद के बिना ऐसा कुछ भी करना असंभव है। क्योंकि मेरे बगल वाली दुकान पर हमले नहीं किए गए, जो एक सिंहली व्यक्ति का है।

लेकिन उसके ठीक बगल वाली दुकान एक मुसलमान का है, उस पर हमले किए गए.” हालांकि थाइयूप ने यह भी बताया कि इस संकट की घड़ी में उनके पडोसी ने उनकी मदद की, जो की सिंहली समुदाय के थे।

हिंसा के बीच में अहिंसा का पैगाम देने वाले बौद्ध भिक्षुओं ने भी अपने मठ के आसपास के कई मुसलमानों को अपने मठ में शरण देकर उनकी रक्षा की, साथ ही उपद्रवियों से शांति की अपील भी की।

आपको बता दें कि श्रीलंका में भड़की इस सांप्रदायिक आग ने 150 से अधिक दुकानें, धार्मिक स्थानों और घरों को जला दिया था। श्रीलंका प्रशासन ने इस घटना के बाद से करीब 150 लोगों को हिरासत में लिया है, लेकिन हिंसा किस वजह से भड़की इस बारे में अभी तक कोई ठोस जानकारी हाथ नहीं लगी है।

बताया जा रहा है कि 20 फ़रवरी को, तेल्देनिया इलाक़े में एक ड्राइवर की हत्या हुई थी, यह ड्राइवर सिंहली समुदाय का था जिसकी कुछ दिनों बाद इलाज के दौरान मौत हो गई।

संभव है, इस मामले की वजह से ही दिगाना में संघर्ष की शुरुआत हो सकती है क्योंकि इनमें से एक मुसलमान व्यक्ति दिगाना का रहने वाला था।