नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (एजैंसीज़) बर्र-ए-सग़ीर हिंद की क़दीम इस्लामी दरसगाह दार-उल-उलूम देवबंद ने हुकूमत सऊदी अरब से फ़ंडज़ हासिल करने या हिंदूस्तानी नौजवानों में इंतिहापसंदी पैदा करने का ज़रीया बनने के इक़दामात पर सख़्त एतराज़ किया है।
दार-उल-उलूम के मुहतमिम मौलाना क़ासिम नामानी ने ऑल इंडिया उल्मा-ओ-मशाइख़ बोर्ड की तरफ़ से दार-उल-उलूम देवबंद के ख़िलाफ़ आइद करदा इल्ज़ामात को मुस्तर्द करदिया। उल्मा-ओ-मशाइख़ बोर्ड ने जो ख़ुद के बारे में सूफ़ी ग्रुप से ताल्लुक़ रखने का दावे किया है, ये इल्ज़ाम आइद किया था कि दार-उल-उलूम देवबंद जैसे बाअज़ इदारे सऊदी अरब से फ़ंडज़ हासिल कर रहे हैं और हिंदूस्तानी नौजवानों के ज़हनों में इस्लामी इंतिहापसंदी का ज़हर घोलते हुए इन नौजवानों को इंतिहापसंदी की तरफ़ माइल कर रही है।
मौलाना क़ासिम ने ऑल इंडिया उल्मा-ओ-मशाइख़ बोर्ड पर जवाबी तन्क़ीद करते हुए इल्ज़ाम आइद किया कि ये बोर्ड सूफ़ी के लुबादा में सयासी खिलवाड़ कर रहा है। ये लोग सूफ़ी होने का दावे तो कररहे हैं लेकिन तसव्वुफ़ पर ज़र्रा बराबर भी अमल नहीं करती।
सूफ़ी किसी को काफ़िर नहीं कहते लेकिन अब ये बात नाम निहाद सूफ़ी ग्रुपों का महबूब मशग़ला बन गई है। दार-उल-उलूम देवबंद के मुहतमिम मौलाना नामानी क़ासिमी ने ऑल इंडिया उल्मा-ओ-मशाइख़ बोर्ड से मुतालिबा किया कि वो अपने सकीवलर किरदार के बारे में वाज़िह सबूत पेश करे क्यों कि इस तंज़ीम ने आर ऐस ऐस और नरेंद्र मोदी की तरफ़ से फैलाई गई दहश्तगर्दी की कभी मुज़म्मत नहीं की।