रियाद, 02 जूलाई: ( पी टी आई ) सऊदी अरब में हालिया मुतआरिफ़ करदा निताकात पॉलीसी की मोहलत 3 जुलाई को ख़त्म हो रही है और इस से क़ब्ल तकरीबन 65000 हिंदुस्तानी शहरियों ने अपने सफ़री दस्तावेज़ात पहले ही हासिल कर लिए हैं और वो क़ानूनी तौर पर यहां बिलकुल महफ़ूज़ हैं।
हिंदुस्तानी सिफ़ारतख़ाना से तकरीबन 90000 हिंदुस्तानी शहरी अपने दस्तावेज़ात इस माफ़ी प्रोग्राम के तहत बाक़ायदा बनाने के लिए रुजू हुए थे । एक सीनीयर ओहदेदार ने ये बात बताई । निताकात पॉलीसी की मोहलत में तौसीअ के लिए मुतअद्दिद गोशों से अपील की जा रही है क्योंकि दरख़ास्त गुज़ारों की कसीर तादाद की हनूज़ यकसूई की जानी है ।
ताहम हुकूमती सतह पर अब तक इस ज़िमन में कोई ऐलान नहीं किया गया है । रियाद में वाकेए हिंदुस्तानी सिफ़ारतख़ाना के डिप्टी चीफ आफ़ मिशन सी बी जॉर्ज ने बताया कि हुकूमत सऊदी अरब ने हनूज़ इस मोहलत में तौसीअ के ताल्लुक़ से कोई ऐलान नहीं किया है ।
ताहम किसी भी तरह की उलझन यह परेशानी की ज़रूरत नहीं है क्योंकि हम ने सऊदी अरब के हुक्काम को इस फ़हरिस्त से पहले ही वाक़िफ़ करा दिया है जो अपना मौक़िफ़ दुरुस्त करने के लिए रुजू हुए थे । यानी तकनीकी एतबार से ये तमाम गैरकानूनी क़रार नहीं पाएंगे ।
जॉर्ज ने कहा कि हिंदुस्तानियों की कसीर तादाद अपना मौक़िफ़ दुरुस्त कराने में कामयाब रही और इस नए प्रोग्राम के नतीजे में उन्होंने नई मुलाज़मत हासिल कर ली है जो ज़्यादा महफ़ूज़ और बेहतर है । उन्होंने बताया कि दरहक़ीक़त इस मुद्दत के दौरान सऊदी अरब में हिंदुस्तानी शहरियों की तादाद में इज़ाफ़ा हुआ है । नए लेबर क़ानून को जिसे निताकात का नाम दिया गया है , मुक़ामी कंपनियों के लिए लाज़िम है कि वो हर 10 ग़ैर मुक़ामी वर्कर्स में एक सऊदी शहरी के लिए मुलाज़मत फ़राहम करें।
इस पॉलीसी के नतीजे में कई ऐसे लोग जिन का ताल्लुक़ बैरूनी ममालिक से है और जो कारआमद वर्क परमिट्स के बगैर यहां काम कर रहे थे उन्हें अपने बचाओ की फ़िक्र लाहक़ हो गई और ये तमाम इस नई पॉलीसी की ज़द में आ गए । रियाद में वाकेए हिंदुस्तानी सिफ़ारतख़ाना ने बताया कि तकरीबन 65000 हिंदुस्तानी शहरी पहले ही अपने सफ़री दस्तावेज़ात हासिल कर चुके हैं और वो क़ानूनी तौर पर मुल्क में महफ़ूज़ हैं।
शाह अबदुल्लाह बिन अबदुल अज़ीज़ ने 3 अप्रैल को इस माफ़ी का ऐलान किया था जिस के तहत बैरूनी वर्कर्स को अपना मौक़िफ़ बाक़ायदा बनाने यह फिर जेल और जुर्मानों से बचने के लिए सऊदी अरब छोड़कर जाने के लिए 3 माह की मोहलत दी गई थी । ये मोहलत 3 जुलाई को ख़त्म हो रही है ।
सिफ़ारत ख़ाना ने सऊदी फ़रमांरवा का इस रियायत के लिए शुक्रिया अदा किया जिन्होंने तारकीन वतन की कसीर तादाद को अपना मौक़िफ़ दुरुस्त करवाने का एक बहतरीन मौक़ा फ़राहम किया और इसके बदले में इन वर्कर्स को नए रोज़गार के मौक़े फ़राहम हो सके।
इसके साथ साथ मुक़र्ररा मुद्दत से ज़्यादा क़ियाम करने वाले हिंदुस्तानी तारकीन ए वतन को किसी तरह की सज़ा या जुर्माना के बगैर अपने मुल्क वापस होने का मौक़ा भी फ़राहम हुआ है । उन्हें दुबारा सऊदी अरब वापस आने के लिए किसी तरह का इम्तिना नहीं रहेगा । इस दौरान जद्दा में वाकेए हिंदुस्तानी कौंसिल जनरल ने बताया कि माफ़ी की इस मुद्दत के दौरान तकरीबन 23 हज़ार हिंदुस्तानी शहरियों की दरख़्वास्तें मौसूल हुईं जिन में 16500 को सफ़री दस्तावेज़ात जारी किए गए ।
रियाद में वाकेए सिफ़ारतख़ाना में मुक़र्ररा मुद्दत के बाद क़ियाम करने वालों की नुमायां तादाद दर्ज की गई और उन्हें इमरजेंसी सर्टीफिकेट जारी किए गए ताकि वो हिंदुस्तान वापस हो सके। इसके इलावा कई तारकीन ए वतन को लेबर दफ़ातिर में अपना क़ानूनी मौक़िफ़ दुरुस्त करने का भी मौक़ा फ़राहम हुआ ।
सिफ़ारतख़ाना ने एक बयान में इस यक़ीन का इज़हार किया कि सऊदी अरब में हिंदुस्तानी आवाम की फ़लाह-ओ-बहबूद और उन के मसाइल की सऊदी क़वानीन के मुताबिक़ मूसिर तौर पर यकसूई अमल में आएगी ।