रियाद, 20 फरवरी: (ए एफ पी) सऊदी अरब की शूरा कौंसल में तीस (30) सऊदी ख़वातीन ने अपनी नशिस्तें सँभाल ली जो इस निहायत क़दामत पसंद सलतनत की तारीख में पहली बार हुआ है जबकि उन्हें आज शाह अबदुल्लाह बिन अबदुलअज़ीज़ की मौजूदगी में यहां उनके महल में हलफ़ दिलाया गया।
सरकारी टेलीवीज़न ने बताया कि इन ख़वातीन की नशिस्तें वही गोशे में है जहां उनके साथ 130 मर्द रफ़क़ा होंगे और इन तमाम को इजतिमाई तौर पर हलफ़ दिलाया गया। शाह अबदुल्लाह ने एक मुख़्तसर बयान में जिसे सरकारी टी वी पर नशर किया गया, कहा कि जिस तब्दीली पर हम काम कर रहे हैं वो लाज़िमन बतदरीज होनी चाहीए।
उन्होंने ज़ोर दिया कि शूरा कौंसल अपने मुबाहिस में हक़ीक़त पसंदी का मुज़ाहिरा करें और इससे रुजू होने वाले मसाइल की दलायल के साथ यकसूई करे। 11 जनवरी को शाह अबदुल्लाह ने सऊदी शूरा कौंसल के लिए इन ख़वातीन का तक़र्रुर किया था जिनमें यूनीवर्सिटी ग्रेजूएट्स , इंसानी हुक़ूक़ जहदकार और दो शहज़ादीयाँ शामिल हैं।
इनका फ़रमान इस सलतनत में संग मेल का नक़ीब है, जो ख़वातीन पर सख़्त तहदेदात आइद करती है, जिन्हें ड्राइविंग से मना किया जाता है और किसी मर्द सरपरस्त की इजाज़त के बगैर सफ़र के हक़ से महरूम रखा जाता है। शाही हुक्मरान ने ये फैसले सऊदी अरब के मज़हबी रहनुमाओं, उल्मा इकराम के साथ मुशावरतों के बाद किए, जहां शरीअत-ए-इस्लामी पर सख़्ती से नफ़ाज़ होता है।
शाह अबदुल्लाह काफ़ी ग़ौर-ओ-ख़ौज़ के साथ बतदरीज तब्दीली ला रहे हैं जैसा कि उन्होंने 2005 में पहली मर्तबा बलदी इंतेख़ाबात भी मुतआरिफ़ कराए। 2011 में उन्होंने ख़वातीन को वोट डालने का हक़ अता किया और आइन्दा मुक़ामी इलेक्शन में जो 2015 में तए है, उम्मीदवारों की हैसियत से मुक़ाबला करने की इजाज़त भी देते हुए कहा कि हम सऊदी समाज में ख़वातीन के रोल को नजरअंदाज़ करने वाले नहीं हैं।