गिरिडीह जिले के राजधनवार एसेम्बली हल्के से झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के मौजूदा एमएलए निजामुद्दीन अंसारी सजायाफ्ता हैं। इसके बाद भी वह एमएलए कैसे बने रहे, इस पर एलेक्शन कमीशन ने रियासती हुकूमत से सवाल पूछा है।
कमीशन ने इस मामले में पूरी रिपोर्ट मांगी है। उसने रियासती हुकूमत से 24 घंटे में रिपोर्ट देने के साथ मुजरिम को निशानदेही करने को भी कहा है। कमीशन खत दाखिला महकमा को भेजा गया है। वहां से इस डीजीपी को भेजा गया है। कमीशन ने पूछा है कि झारखंड के अफसरों ने उसे जो फेहरिस्त दी थी, उसमें एमएलए का नाम क्यों नहीं था। इस मामले की गहराई से जांच की जाए।
क्या है खत में
एलेक्शन कमीशन का खत मिलने के बाद दाखिला महकमा ने डीजीपी को दो दिसंबर को खत लिखा है। इसमें कहा गया है कि निजामुद्दीन अंसारी गिरिडीह थाना के कांड नंबर 84-03 के मुल्ज़िम हैं। उन्हें 30.11.2013 को गिरिडीह अदालत से दो साल कैद की सजा और एक हजार रुपए का जुर्माना हुआ था। सजा के बाद भी वह तकरीबन साल भर तक एमएलए रहे।
रिपोर्ट में नहीं था जिक्र
झारखंड हुकूमत की तरफ से ज़ाब्ता एखलाक कानून के पहले एलेक्शन कमीशन की तरफ से मांगी गई इत्तिला पर एक रिपोर्ट दी गई थी। इसमें रियासत के सजायाफ्ता एमपी और एमएलए की जानकारी थी। पुलिस हेड क्वार्टर की तरफ से लेटर 141 तारीख 11 मार्च 2014 को इस सिलसिले में रिपोर्ट रियासत के दाखिला महकमा को दी गई। इसे इंतिख़ाब कमीशन को भेज दिया गया। उस रिपोर्ट में निजामुद्दीन अंसारी का नाम नहीं था। लिहाजा उनका मामला इंतिख़ाब कमीशन के सामने नहीं आ पाया था।