नई दिल्ली, 02 मई: कांग्रेस लीडर सज्जन कुमार मुख़ालिफ़ सुख फ़सादाद मुक़द्दमे में शुबे का फ़ायदा हासिल करने का मुस्तहिक़ है क्योंकि मुतास्सिरीन में एक शख़्स और कलीदी ऐनी गवाह जगदीश कौर ने जस्टिस रंगनाथ मिश्रा पियानल के रूबरू 1985 में कलमबंद कराए गए अपने बयान में मुल्ज़िमीन में इन का नाम नहीं लिया था। दिल्ली की अदालत ने ये बात कही।
सज्जन कुमार को इस 29 साला क़दीम मुक़द्दमे में बरी किए जाने पर शदीद अवामी ब्रहमी का मुज़ाहिरा किया जा रहा है। डिस्ट्रिक्ट एंड सैशन जज जय आर आर्यन ने 129 सफ़हात पर फ़ैसले में कहा कि मुतास्सिरा जगदीश कौर ने बादअज़ां अपने हलफ़िया बयान में कहा कि इस ने सज्जन कुमार को इश्तिआल अंगेज़ तक़रीर के ज़रिये एक हुजूम को मुश्तइल करते देखा था जबकि इस तरह का बयान नाक़ाबिले क़ुबूल और नाक़ाबिले यक़ीन है।
ये एक हक़ीक़त है कि ऐनी गवाह और शिकायत कनुंदा जगदीश कौर ने जब जस्टिस रंगनाथ मिश्रा कमीशन के रूबरू अपना हलफ़िया बयान दाख़िल किया इस में सज्जन कुमार का तज़किरा नहीं था। अदालत ने कहा कि कांग्रेस लीडर का नाम बाद में दिए गए बयानात में शामिल किया गया था।