सदसिव्पेट में लेबर क़वानीन की ख़िलाफ़वरज़ी

सदसिव्पेट इन दिनों लेबर एक्ट से मुस्तसना नज़र आरहा है। मार्किट में लेबर हॉलीडे क़ौमी दिनों और मख़सूस औक़ात में जो हुकूमत की तरफ से मार्किट बंद रखने की क़ानूनी हैसियत हासिल है।

मार्किट में बड़े ज़ोरों पर कारोबार होता है। लेबर ऑफीसर के एक दिन भी इस इलाके का दौरा ना करना और लोगों को क़ानून का पाबंद ना बनाना एक मानी ख़ेज़ बात है।

माहाना इस इलाके से काबिले लिहाज़ मालिया फ़राहम होता है। इस इलाके में कई दिनों से कोई महिकमाजाती अफ़्सर अपने फ़राइज़ अंजाम नहीं दीए। जो उनकी ज़िम्मेदारी होती है।

क़ानून की हिफ़ाज़त करने वाले सरकारी ऑफीसर ख़ुद क़ानून की ख़िलाफ़वरज़ी करने वालों के साथ दोस्ती करती है तो क्या ये क़ानून के ख़िलाफ़वरज़ी के मुर्तक़िब नहीं हुए इस का क्या मानी रखते हैं।

इन ऑफीसरों और मार्किट के मुख़्तलिफ़ ब्योपारियों के यूनियनों के दरमयान ताल मेल से ज़ाहिर होरहा है हुकूमत तेलंगाना को चाहिए कि वो अपने इंतेज़ामी ढांचा को मज़बूत बनाए जबकि लेबर ऑफीसर की रवानगी से पहले ही ताजिरों को इन ही के दफ़ातिर से आने की इत्तेलाआत फ़राहम किए जा रहे हैं ताकि वो चौकस होसके।