सरकारी स्कीमात से इस्तिफ़ादा के लिए घर घर सर्वे में हिस्सा लेना ज़रूरी

रियासत भर में 19 अगस्त को बड़े पैमाने पर घर घर सर्वे का इनेक़ाद अमल में आएगा। इस सर्वे के ज़रीए अवाम के समाजी और मआशी मौक़िफ़ का ताऐयुन किया जाएगा और मुस्तक़बिल में इस सर्वे की बुनियाद पर सफेद राशन कार्ड्स की तक़सीम अमल में आएगी। अवाम आरोग्या श्री हेल्थ स्कीम से इस्तिफ़ादा कर सकेंगे। तलबा को फीस बाज़ अदाएगी स्कीम से मुस्तफ़ीद होने का मौक़ा मिलेगा।

माज़ुरीन, बेवाएं और बुज़ुर्ग मर्द और ख़्वातीन वज़ाइफ़ हासिल कर सकेंगे। इस सर्वे के बारे में अवाम में कई उलझनें और ख़द्शात पाए जाते हैं लेकिन उन के लिए हम ये बताना ज़रूरी समझते हैं कि ये सर्वे ना सिर्फ़ एक मर्दम शुमारी की हैसियत रखता है बल्कि बहबूदी स्कीमात से मुस्तफ़ीद होने वालों का ताऐयुन भी करता है। क्यों कि हुकूमत मुस्तहक़ीन को उन का हक़ दिलाने की ख़ाहां है।

खासतौर पर मुसलमान तालीमी और मआशी एतबार से काफ़ी पसमांदा हैं इन में 95 फ़ीसद ख़ानदान ऐसे हैं जो अपने बच्चों की फीस अदा नहीं कर सकते। अगर किसी आरिज़ा की सूरत में ऑपरेशन करवाने की ज़रूरत लाहक़ हो तो ऑपरेशन कराने से भी वो क़ासिर हैं क्यों कि उन की मआशी हालत इस क़दर ख़राब है कि सरकारी स्कीमात ही उन के लिए मुआविन साबित हो सकती हैं।

रियासत तेलंगाना के प्रिंसिपल सेक्रेट्री महकमा पंचायत मिस्टर रेमंड पीटर ने हाल ही में इस घर घर समाजी सर्वे के बारे में पैदा शूदा ख़दशात दूर करने की कोशिश की है। क्यों कि अवाम के ज़हनों में ये सवालात गर्दिश कर रहे हैं कि क्या इस सर्वे के दौरान बैंक अकाउंट और पैन की तफ़सीलात फ़राहम करना ज़रूरी है? और इस सर्वे में हमें हिस्सा क्यों लेना चाहीए।

इस से हमें क्या फ़वाइद हासिल हो सकते हैं? अगर सर्वे में हिस्सा लेने से इनकार कर दें तो क्या होगा? सर्वे के दिन घर पर ताला होगा तो इस के क्या असरात मुरत्तिब होंगे? अगर हम अपने असल इलाक़ा के बारे में तफ़सीलात बताने से गुरेज़ करें तो इस का क्या असर होगा? इस लिए कि कई लोगों के पास सदाक़त नामा पैदाइश नहीं हैं।

मुतवस्सित और ख़ुशहाल तबक़ा से ताल्लुक़ रखने वाले ख़ानदानों को इस सर्वे में क्यों शामिल होना चाहीए? आया सर्वे में सिर्फ़ उन लोगों पर ही तवज्जा मर्कूज़ की जा रही है जो सरकारी स्कीमात से मुस्तफ़ीद होते हैं? एक अहम सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या सर्वे के दौरान ख़ानदान के तमाम अरकान का मौजूद रहना ज़रूरी है? इन तमाम सवालात के जवाबात प्रिंसिपल सेक्रेट्री महकमा पंचायत हुकूमत तेलंगाना मिस्टर रेमंड पीटर ने दीए हैं।

उम्मीद है कि मुसलमान ज़्यादा से ज़्यादा सर्वे में हिस्सा लेकर ख़ुद को सरकारी स्कीमात के मुस्तहिक़ बनाएंगे क्यों कि सरकारी स्कीमात के ज़्यादा मुस्तहिक़ मुसलमान ही हैं।