सरकार करेगी 100 करोड़ प्रीपेड मोबाइल नंबर का वेरिफिकेशन, गलत पाए जाने पर बंद होगी सर्विस

नई दिल्ली: देश में जल्द ही प्रीपेड मोबाईल नंबरों का वेरिफिकेशन शुरू होगा. उपभोक्ता के सही पाए जाने पर ही नंबर जारी रखने दिया जाएगा. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस योजना को हरी झंडी दे दी है जिसके तहत एक वर्ष के भीतर ई-केवाईसी (नो योर कस्टमर) के जरिए 100 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं की पहचान सुनिश्चित करने की योजना है. कोर्ट ने कहा है कि इस काम को एक साल में पूरा करने की कोशिश की जाए. अब आधार आधारित ई-केवाईसी के जरिए ही मोबाइल कनेक्शन देने की योजना है.

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अमर उजाला के अनुसार, चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि एक वर्ष के भीतर ई-केवाईसी के जरिए 100 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं की पहचान सुनिश्चित करने की योजना है. साथ ही उन्होंने बताया कि नए कनेक्शन आधार कार्ड पर ही दिया जाएगा.
मोबाइल सिम का दुरूपयोग को रोकने के लिए सरकार की ओर से यह पहल की जा रही ह. अटॉर्नी जनरल ने बताया कि 90 फीसदी से अधिक प्री-पेड ग्राहक हैं. उन्होंने बताया कि इन ग्राहकों को समय-समय पर रिचार्ज करना होता है. ऐसे में योजना है कि रिचार्ज कराने से पहले उपभोक्ताओं की पहचान सुनिश्चित की जाएगी.

चीफ जस्टिस जे एस खेहर और एन वी रमना की बेंच ने केंद्र की दलीलों को स्वीकार किया. कोर्ट ने कहा कि लोगों को अपनी पहचान साबित करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए. सरकार इस बात की कोशिश करे कि सारी प्रक्रिया एक साल के भीतर पूरी हो जाए.
एनजीओ लोकनीति फाउंडेशन की तरफ से दाखिल याचिका में ये कहा गया था कि फरवरी 2016 तक देश में लगभग 105 करोड़ मोबाईल उपभोक्ता थे. खुद टेलीकॉम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इनमें से लगभग 5 करोड़ नंबर बिना पुख्ता वेरिफिकेशन के हैं. फ़र्ज़ी पहचान से हासिल नंबरों का इस्तेमाल अपराध और आतंकवादी गतिविधियों में होता है. अब मोबाईल को बैंकिंग से जोड़ने के बाद अब लोगों के पैसे ठगे जाने का खतरा बढ़ गया है. इसलिए सभी नंबरों की पहचान ज़रूरी है.