मुल्क के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी बीवी लुईस खुर्शीद पर जालसाजी का इल्ज़ाम लगा है। एक न्यूज चैनल के स्टिंग आपरेशन के मुताबिक, कानून मंत्री के ट्रस्ट डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट को साल 2010 और 2011 में 1.39 करोड़ रुपए का सरकारी अतिया (अनुदान) मिली, जिसे फर्जी दस्तखत और मुहर के सहारे हड़प लिया गया है।
मर्कज़ी हुकूमत से मिली यह अतिया माजूरों (विकलांगों) को ट्राई साइकिल, बैसाखी और सुनने की मशीन मुहैया कराने के लिए था।
इस मसले पर वज़ीर् ए कानून बिशमोल (समेत) कांग्रेस का कोई ओहदेदार सामने नहीं आ रहा है। हालांकि सलमान खुर्शीद ने खत लिखकर सफाई दी है और् ये भी कहा है कि इस मामले में जांच की मांग उत्तर प्रदेश की हुकूमत से पहले ही कर चुके हैं।
बी जे पी और अन्य सयासी (राजनीतिक) पार्टी हमलावर हो गए हैं। उन्होंने ट्रस्ट को ब्लैक लिस्ट में डालने का मुतालिबा(मांग) किया है।
डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट के चेयरमैन सलमान खुर्शीद हैं। उनकी बीवी लुईस खुर्शीद ट्रस्ट की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। इस ट्रस्ट के ज़रिये यूपी के 17 अज़लो ( जिलो) में माजूर् बहबूद कैम्प मुनाकिद करने का दावा किया गया।
कहा गया है कि इन अजलो के माजूरों को ट्राई साइकिल, बैसाखी और सुनने की मशीन दी गई है। इसी दावे पर फर्रुखाबाद, मैनपुरी, इटावा, बुलंदशहर बिशमोल ( समेत)13 जिले के वेलफेयर आफीसर ने सवाल उठाए।
आफीसरो ने कहा कि माजूर बहबूद कैम्प (Disabled Welfare Camps) के नाम पर धांधली की गई है। इटावा, बुलंदशहर के CMO के जाली दस्तखत और मुहर के सहारे रकम निकाली गई है। माजूरों को आलात (उपकरण) नहीं दिए गए हैं।
न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन से पता चला है कि ट्रस्ट ने जिन माजूरों को आलात (Equipment) देने की बात कही है, वह फैज़याब (लाभान्वित/फायदा नही लिए है) नहीं हुए हैं।
असत्यकरण (Falsification) करके बजट निकाल लिया गया है। इसके सुबूत मिल चुके हैं। पूरे मामले की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश की हुकुमत को भेजी जा चुकी है।