भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जिला सहकारी बैंकों को नोटों पर लगे प्रतिबंध के बारे में ज़ारी परिपत्र में कुछ गड़बड़ी होने के कारण बॉम्बे उच्च न्यायालय ने केंद्रीय बैंक से जवाब मांगा है। मुंबई और सोलापुर के जिला सहकारी बैंकों ने आरबीआई के 14 नवंबर के इन परिपत्रों के खिलाफ याचिका पिछले सप्ताह दायर की। पिछले सप्ताह 14 नवंबर के आरबीआई के परिपत्रों के खिलाफ मुम्बई और सोलापुर के जिला सहकारी बैंकों ने याचिका दायर की है। बहुत सारी याचिकाएं सहकारी बैंकों द्वारा अदालत में डाले जाने पर अदालत इन सब की सुनवाई एक ही साथ कर रही है।
रिज़र्व बैंक ने परिपत्रों में सहकारी बैंकों को 500, 1000 के नोट बदलने या जमा ना करने का आदेश दिया है। न्याय न्यायमूर्ति ए एस ओका और एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल अनिल सिंह को आदेश दिया की वो नोटबंदी के खिलाफ विभिन्न अदालतों में दायर याचिकाओं को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करे और याचिका की एक कॉपी मंगलवार तक अदालत में पेश करे।
पीठ ने यह भी कहा कि यदि उसके समक्ष दायर सहकारी बैंकों की याचिकाओं की दलील उच्चतम न्यालय के समक्ष दाखिल याचिकाओं जैसी ही पायी गयी तो वह इस मामले में सुनवाई नहीं करेगी। अदालत ने सिंह से कहा, आप स्थानांतरण याचिका की नकल मंगलवार को पेश करें। हम देखेंगे। आरबीआई को भी जवाब देना चाहिए। हम एेसा कुछ नहीं कह रहे हैं कि आप :आरबीआई: सही हैं या गलत। पर प्रथम दृष्टया हमें लगता है कि दोनों परिपत्रों में कुछ विसंगतियां हैं।
पीठ ने कहा कि अगर बाकि अदालतों की याचिकाएं उच्च न्यायलयों में दायर याचिकाओं में दलील एक जैसी होंगी तो उनपर सुनवाई नहीं की जायेगी। अदालत ने कहा की आरबीआई को भी जवाब देना चाहिए हम यह नहीं कह रहे हैं कि आरबीआई गलत है। सिंह ने बताया कि अदालत में दायर याचिकाओं पर सुनवाई 23 नवंबर को होनी है।
मुंबई जिला सहाकारी बैंक के वकील जनक द्वारकादास ने कहा कि सहकारी बैंकों की याचिकाएं अलग तरह की हैं। उन्होंने कहा, हम नोट पर पाबंदी को चुनौती नहीं दे रहे हैं, हमारी याचिका आरबीआई के परिपत्राों के खिलाफ है।