साल 2013 में दस लाख मुलाज़मतों के मवाक़े

नई दिल्ली, 02 जनवरी: ( पीटीआई ) नया साल मुलाज़मत के ख़ाहिशमंद अफ़राद के लिए ख़ुशख़बरी लाया है क्योंकि इमकान है कि कंपनीयों में 10 लाख अफ़राद का तक़र्रुर किया जाएगा और 10 ता 15 फ़ीसद तक तनख़्वाहों में इज़ाफ़ा का इम्कान है जो बेहतर कारकर्दगी की बुनियाद पर किया जाएगा ।

इंसानी वसाइल मुशावरत तंज़ीम के तख़मीना के मुताबिक़ ख़िदमात का हुसूल यक़ीनी तौर पर 2013 में 2012 की बनिसबत ज़्यादा तनख़्वाहों पर किया जाएगा । माहिरीन का कहना है कि बेशतर मईशतें मआशी इन्हेतात से उभर रही है और अंदरून-ए-मुल्क-ओ-बैरून-ए-मुल्क बाज़ारों में मुलाज़मतों के कई मवाक़े पैदा होने का इमकान है ।

सनअत के तख़मीनों के बमूजब हिंदूस्तान में 2012 में तक़रीबन 7 लाख मुलाज़मतों के मवाक़े पैदा हुए थे हालाँकि मआशी सूरत-ए-हाल ग़ैर यक़ीनी थे । नए साल के लिए कम अज़ कम 5 ता 6 लाख से लेकर 10 लाख से ज़्यादा मुलाज़मतों के मवाक़े पैदा होने की पेश क़ियासी की गई है । माई हाइरिंग कलब डाट काम के सी ई ओ राजेश कुमार ने कहा कि नया साल मुलाज़मतों के ख़ाहिशमंद अफ़राद के लिए अच्छा साबित होगा ।

मुल्क में 10 लाख से ज़्यादा मुलाज़मतों के मवाक़े पैदा होने का इम्कान है । 2012 मुलाज़मतों के ख्वाहिशमंदों के लिए बेहतर साल नहीं रहा । आजरीन के लिए भी मुख़्तलिफ़ मसाइल की वजह से बिशमोल मआशी हालात 2012 ज़्यादा अच्छा नहीं था । 2012 में बेशतर अर्सा तक जमूद का शिकार रहने के बाद जिसकी वजह आलमी मआशी इन्हेतात था हिंदूस्तान में मुलाज़मतों के मवाक़े में इम्कान है कि आइन्दा साल मोतदिल रफ़्तार से इज़ाफ़ा होगा ।

इसके बावजूद हिंदूस्तान की सूरत-ए-हाल दीगर ममालिक की बनिसबत बेहतर हैं । जहां तक तनख़्वाह का सवाल है तनख़्वाहों में औसत इज़ाफ़ा हर शोबा में महंगाई के एतबार से कम अज़ कम एक अदद पर मुश्तमिल होने का इम्कान है । हालाँकि कंपनीयां अच्छे मुज़ाहिरे पर 10 ता 15 फ़ीसद इज़ाफ़ा भी कर सकती हैं ।

मैन पावर इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर ए जी राव को यक़ीन है कि कंपनीयां तनख़्वाहों में अच्छी कारकर्दगी का मुज़ाहिरा करने वालों के लिए 10 ता 15 फ़ीसद इज़ाफ़ा करने से हिचकिचाएंगे नहीं । साथ ही साथ वो लागत में कमी करने के सिलसिला में भी इक़दामात करेंगी जिसकी वजह मआशी सूरत-ए-हाल है ।

आइन्दा साल कंपनीयां इम्कान है कि मआशी सूरत-ए-हाल के पेशे नज़र हर पहलू से मुहतात रवैय्या इख़तियार करेंगी । उनकी तवज्जा इंतिज़ामीया और तरक्कियात की अहम सलाहीयतों को बरक़रार रखने पर मर्कूज़ होगी । सरकारी शोबा इमकान है कि बड़े पैमाने पर तक़र्रुत करेगा ।

खासतौर पर बैंकों में ज़्यादा तक़र्रुत का इम्कान है क्योंकि टेक्नोलाजी की सरगर्मीयों जैसे शोबे ( Sector) और दीगर शोबे सेल्स और मार्केटिंग की सरगर्मी में शामिल नहीं होते । ख़ानगी शोबा की मालीयाती मंडी में तक़र्रुत इम्कान है कि गुज़शता चंद सालों की बनिसबत ज़्यादा होंगे और उसकी वजह से ख़ानगी शोबा की कंपनी क़दामत परसत रवैय्या तर्क करने और मुलाज़मत में ज़्यादा मवाक़े फ़राहम करने पर मजबूर हो जाएंगी ।

हिंदूस्तानी स्टाफ़िंग फाउंडेशन की नायब सदर रीतू चक्रवर्ती ने कहा कि अपना सर्किल डाट काम के बानी और सी ई ओ योगेश बंसल के बमूजब रिवायती आली सतही शोबों जैसे इत्तलाआती टेक्नोलाजी ,रीटेल ,हिफ़्ज़ान-ए-सेहत ,तालीमात , बैंकिंग , मालीयाती ख़िदमात , इंश्योरेंस और तवानाई में कसीर तादाद में मुलाज़मतों के मवाक़े पैदा होने का इम्कान हैं ।

इसके इलावा आर्ट ,फ़ैशन और तफ़रीहात के शोबों में सलाहीयतों की बुनियाद पर बड़े पैमाने पर तक़र्रुत मुम्किन हैं ।