सियासी ताकतें नये हम आहंगी की राह पर

बिहार में सियासी ताकतें नये इत्तीहाद और तालमेल की तरफ बढ़ती दिख रही हैं जिससे रियासत में मौजूदा फॉर्मूला को धक्का लग सकता है। रियासत में जदयू के राजग से आलाहिदा होने के बाद सामजी फॉर्मूला में तेजी से तबदीली आ रहा है।

कांग्रेस ने हालांकि लालू प्रसाद की सदारत वाले राजद के साथ इत्तीहाद करने की हिचकिचाहट का इशारा दिया था ,लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस अब इससे अपने कदम पीछे खींच रही है क्योंकि पार्टी के कई आला लीडर ‘दागी लीडर’ के साथ इत्तीहाद को लेकर काफी चुकन्ना दिख रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि सीनियर लीडर पी चिदंबरम, जयराम रमेश और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले बिहार कांग्रेस के इंचार्ज सी पी जोशी कांग्रेस के बदउनवानी मुखालिफत रुख को आगे बढ़ाने के दौरान इत्तीहाद की वजह पड़ने वाले असरात को लेकर खौफ जादा हैं।

ऐसी दलीलें दी जा रही हैं कि जब कांग्रेस लोकपाल विधेयक को पास कराने का क्रेडिट ले रही है और राहुल गांधी बदउनवानी ज़ाब्ता लाने की बात कर रहे हैं तब पार्टी को चारा घोटाले में लालू को मुजरिम करार दिये जाने के बाद राजद से इत्तीहाद करने में दिक़्क़त पेश आयेगी। बातचीत की अमल का हिस्सा रहे एक लीडर ने कहा, ‘‘ इस बात के वाजेह इशारा हैं कि हम इस बार बिहार में इत्तीहाद करेंगे। हालांकि इस बारे में कुछ और वाजेह जरुरी है कि हम किस पार्टी के साथ इत्तिहाद करने जा रहे हैं। ’’ गुजिशता लोकसभा इंतिख़ाब में राजद के साथ इत्तीहाद करने वाली राम विलास पासवान की लोजपा अब लालू की पार्टी के साथ इत्तीहाद को इच्छुक नजर नहीं आती है और ज़राये की मानें तो समझा जाता है कि वह बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी के साथ बातचीत का रास्ता खोले हुए हैं।

लोजपा सरबराह के करीबी एक पार्टी ओहदेदार ने कहा, ‘‘ लोजपा के ज़्यादातर लीडरों का ख्याल है कि पार्टी को जदयू के साथ इत्तीहाद करना चाहिए और इससे कांग्रेस को भी जोड़ना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस जदयू के साथ लोजपा का इत्तीहाद काफी मजबूत हो सकता है क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी ने इंतेहाई पासमानदा जातियों और महादलितों में पैंठ बनायी है। इसके अलावा उनकी तस्वीर साफ है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आम आदमी पार्टी का क़ौमी हालत पर असर पड़ने के दरमियान मुजरिम करार दिये गए लालू के साथ जाने से पार्टी को नुकसान होगा। दूसरी तरफ राजद अपने बड़े भाई के रुख को छोड़ने को तैयार नहीं दिखती है। हालांकि इस बारे में आखरी फैसला पासवान को करना है। ’’