बिहार कानून साज़ कोनसिल में जेडीयू के साबिक़ डिप्टी लीडर और मारुफ़ अदीब प्रोफेससर असलम आज़ाद ने कहा के कोई भी ज़ुबान सिर्फ हुकूमत की मेहरबानी पर ज़िंदा नहीं रह सकतें। उन्होने उर्दू बोलने वालों से दरख्वास्त की है के वो अपनी ज़ुबान की हिफाज़त यहूदियों की तरह करें, जिन्होने कई सदियों तक अपनी ज़ुबान को ज़िंदा रखा। उन्होने कहा के आज ऐसी तालीम दी जा रही है के बाज़ारवाद के तकाजों को पूरा करती है। जिस का मुनफ़ी पहलू ये है के नयी नसल अपनी ज़ुबान और सकाफत से दूर जा रही है।
उन्होने ये भी कहा के किसी भी ज़ुबान को मजहब से जोड़ा जाना चाहिए।प्रोफेससर आज़ाद मिल्लत कॉलेज दरभंगा के दो रोज़ा सेमिनार में हिस्सा लेने के बाद सहाफ़ियों से बात कर रहे थे।
प्रोफेससर आज़ाद ने उर्दूदानों से कहा के वो अपने बच्चों को उर्दू ज़रूर पढ़ाये वरना आने वाली नसल हमें माफ नहीं करेगी चूँके उर्दू हमारी सकाफत की पहचान है और जब उर्दू नहीं रहेगी तो हमारी तहज़ीब भी बाक़ी नहीं रहेगी। उन्होने कहा के हम सिर्फ हुकूमत को कसूरवार नहीं ठहराए बल्कि अपने दामन में झांक कर भी देखें के उर्दू वाले इसकी तरक़्क़ी के लिए क्या कर रहे है। रियासती हुकूमत उर्दू के 27 हज़ार टीचर बहाल करना चाह रही है। प्रोफेससर आज़ाद ने इस जरूरत पर ज़ोर दिया के प्रायमरी सतह पर उर्दू पढ़ाने के लिए हुकूमत और उर्दूदांवालों को भी कोशिश करनी चाहिए वरना उर्दू मिट जाएगी जो साझा सकाफत की अलामत है।
प्रोफेससर आज़ाद ने कहा के आज तक सभी हुकूमतों ने मुसलमानों को सिर्फ ठगा है और उनके वोट पर राज किया है। उन्होने कहा के मैट्रिक इम्तिहान में अवल दर्जे में पास करने वाले मुस्लिम बच्चों की तादाद 2600 से 26000 हज़ार तक हो गयी है। जिनको रियासती हुकूमत को पहले दर्जे में पास होने वाले बच्चों का होना चाहिए।