दिल्ली पुलिस अभिलेखागार के दस्तावेज के अनुसार आरएसएस ने महात्मा गांधी को जान से मारने के बारे में सोचा था और ये दावा भी किया था कि वो उन्हें चुप कराने में सक्षम है.
महात्मा गांधी की हत्या के महीनों पहले दिल्ली पुलिस की क्रिमिनल इन्वस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) ने ये ब्योरा गुप्त सूत्रों के हवाले से दर्ज किया था.
दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर करतार सिंह ने इस ब्योरे में आरएसएस के सूत्र को ‘सेवक’ के रूप में दर्ज किया है. (संभव है कि उन्होंने इसका प्रयोग संघ के स्वयंसेवकों के लिए किया हो.)
“मुसलमानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, दुनिया की कोई ताकत उन्हें हिन्दुस्तान में नहीं रख सकती. उन्हें ये देश छोड़ना होगा. महात्मा गांधी मुसलमानों को भारत में रखना चाहते हैं ताकि कांग्रेस को चुनाव में लाभ मिल सके. लेकिन तब तक भारत में एक भी मुस्लिम नहीं बचेगा. अगर उन्हें यहां रखा गया तो इसकी जिम्मेदारी सरकार पर होगी और हिन्दू समुदाय इसके लिए कत्तई जिम्मेदार नहीं होगा.”
“महात्मा गांधी हमें और नहीं बहका सकते. हमारे पास ऐसे साधन हैं जिससे ऐसे लोग तुरंत चुप कराए जा सकते हैं लेकिन हिंदुओं का अहित करना हमारी परंपरा नहीं है. अगर हमें बाध्य किया गया तो हम वो रास्ता भी चुनेंगे.”
“8.12.47 को संघ के करीब 2500 स्वयंसेवक उनके रोहतक रोड के कैम्प में इकट्ठा हुए. थोड़ी देर ड्रिल करने के बाद संघ के गुरु एमएस गोलवरकर ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया. उन्होंने संघ के सिद्धांतों की व्याख्या की और कहा कि आने वाले संकट का पूरी शक्ति से सामना करना सबका दायित्व है. बहुत जल्दी उनके सामने पूरी योजना पेश की जाएगी. खिलवाड़ के दिन बीत गए…”
“सरकार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, कानून शक्ति का सामना नहीं कर सकता. हमें शिवाजी की तरह गुरिल्ला युद्ध के लिए तैयार रहना होगा. संघ तब तक चुप नहीं बैठेगा जब तक वो पाकिस्तान को मिटा न दे. अगर कोई हमारे राह में आया तो हम उसे भी मिटा देंगे, चाहे वो नेहरू सरकार हो या कोई दूसरी सरकार. संघ से जीतना संभव नहीं है. उन्हें अपना काम जारी रखना चाहिए.”