कुर्सी को लेकर रियासत में जंग शुरू हो गई है। नीतीश और लालू पहले इसपर अपना कब्जा चाह रहे थे, वहीं अब इसमें राष्ट्रीय जनता दल राजद के सीनियर लीडर अब्दुल बारी सिद्दीकी ने भी वजीरे आला ओहदे के लिए अपना दावा ठोक दिया है। लालू के खास माने जाने वाले अब्दुल बारी सिद्दीकी के नए दावे ने पार्टी सरबराह लालू प्रसाद यादव के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। सिद्दीकी के इस बयान के बाद राजद में खलबली मची हुई है।
दरअसल, एसेम्बली इंतिख़ाब में इत्तिहाद को लेकर लालू प्रसाद यादव की नीतीश कुमार और जदयू सरबराह शरद यादव से आज मुलाकात होनी है। ज़राये का कहना है इसको लेकर दोनो लीडर आज दिल्ली के लिए रवाना होंगे। जदयू और राजद के दरमियान तालमेल में सबसे बड़ा पेंच वजीरे आला ओहदे के उम्मीदवार को लेकर फंसा है। ऐसे में अब्दुल बारी के सीएम ओहदे पर दावे से सियासी सुरते हाल और उलझती नजर आ रही है।
राजद नीतीश के नाम पर मंजूर नहीं है तो जदयू नीतीश को छोड़कर दूसरे किसी नाम पर अपनी मंजूरी नहीं देना चाह रही है। राजद के सीनियर लीडर रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था कि पार्टी के अंदर ही वजीरे आला ओहदे के कई उम्मीदवार हैं, फिर हम नीतीश के नाम क्यों इंतिख़ाब लड़ें।
प्रदेश में सितंबर-अक्टूबर में इंतिख़ाब होने हैं। रियासत के सियासी पार्टियों में इसको लेकर नए दोस्त बनाने और दुश्मनी खत्म करने के लिए हाथ मिलाने का सिलसिला तेज हो गया है। कांग्रेस ने तो खुले तौर पर जदयू से हाथ मिलाने और वजीरे आला ओहदे के लिए नीतीश कुमार के नाम का हिमायत किया है।
ज़राये की माने तो सीट शेयरिंग को लेकर जदयू और दीगर पार्टियों के दरमियान तकरीबन मंजूरी बन गई है। कुल 243 एसेम्बली सीटों में से जदयू 100 सीटों पर इंतिख़ाब लड़ने को तैयार है, वो राजद को भी 100 सीटें देने को तैयार है। बाकी बचे 43 सीटों में से कांग्रेस को 30-32, एनसीपी को 10 और दो सीट वाम दलों को देने पर तकरीबन रजामंदी हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा इत्तिहाद से एसेम्बली में जदयू को 8 सीटों का नुसान होगा वहीं 76 सीटों का फाइदा होगा। रियासत में जदयू के 108 एमएलए हैं। वहीं, राजद के 24 है, लेकिन वो 100 सीटों पर इंतिख़ाब लड़ेगा।