अमान: हालया आत्मघाती हमले के बाद जॉर्डन की ओर से सुरक्षा चिंताओं के कारण सीमा बंद कर देने के बदले में रेगिस्तान में फंसे क़रीब चौंसठ हजार सीरियाई शरणार्थी बड़ी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के एक उप संस्थान ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम के क्षेत्रीय प्रवक्ता अबीर ऐतीफा ने कहा है कि उनका संगठन जॉर्डन के सुरक्षा चिंताओं को समझता है लेकिन यह उम्मीद करता है कि सीरिया के साथ जुड़े सीमा जल्द ही खोला जाएगा। जार्डन की राजधानी अमान में यह बयान देते हुए एतीफा ने स्पष्ट किया कि सीमा खोलने में देरी, रेगिस्तान में फंसे सीरियाई शरणार्थियों के जीवन के लिए खतरा हो सकता है।
जॉर्डन सरकार ने अपनी सीमा बंद करने का फैसला पिछले सप्ताह मंगलवार को किया था। यह फैसला इस आत्मघाती हमले की प्रतिक्रिया में किया गया जिससे सुरक्षा बलों के सात अधिकारी मारे गए और तेरह अन्य घायल हो गए थे। जांच में यह बात सामने आई है कि हमलावर ने अपनी यात्रा शरणार्थी टेंट से शुरू किया था।हजारों सीरियाई शरणार्थि कई महीनों से सीरिया और जॉर्डन की सीमा पर अस्थायी टेंट लगाकर जीवन बसर करने को मजबूर हैं और जॉर्डन में प्रवेश करने की अनुमति की प्रतीक्षा कर रहे हैं. सीरियाई सीमा के अंदर रेगिस्तान क्षेत्र में इन शरणार्थियों की गुज़र बसर सहायता पर निर्भर है ।
उल्लेखनीय है कि सीरिया में मार्च 2011 से जारी गृहयुद्ध के कारण अब तक पांच लाख से अधिक घरेलू नागरिक विस्थापन को मजबूर हो चुके हैं। जॉर्डन में साढ़े छह लाख के लगभग सीरियाई आप्रवासियों शरण लिए हुए हैं।