सीरिया: क्या तुर्की को फंसाने के लिए अमेरिका ने चाल चली?

उत्तरी सीरिया में कुर्द बहुल इलाक़े मंबिज में सीरियाई सैनिकों की तैनाती के बाद तुर्क सैनिकों की सीरियाई सीमा में घुसपैठ के कारण तनाव बढ़ता जा रहा है। हाल ही में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने सीरिया के इस इलाक़े से अपने सैनिकों को बाहर निकालने का एलान किया था, जिसके बाद तुर्की ने कहा था कि कुर्द लड़ाकों से निपटने के लिए वह इस इलाक़े में अपने सैनिक तैनात करेगा।

हालांकि कुर्दों ने दमिश्क़ सरकार से मदद का आग्रह किया, जिस पर तुरंत प्रतिक्रिया जताते हुए दमिश्क़ ने मंबिज में अपने सैनिक तैनात कर दिए। शुक्रवार को सीरियाई सरकार ने यह एलान किया कि एक बार फिर सीरियाई सेना ने मंबिज का निंयत्रण संभाल लिया है और सैनिकों ने वहां राष्ट्रीय ध्वज लहरा दिया है।

हालांकि तुर्की और अमरीका, सीरियाई सैनिकों की मंबिज में तैनाती को केवल एक मनोवैज्ञानिक चाल बता रहे हैं और सीरिया के इस क़दम को पचा नहीं पा रहे हैं। ऐसा लगता है कि अमरीका और तुर्की ने सीरिया के कुर्द बहुल इलाक़े के बारे में अपनी नई रणनीति बनाते हुए दमिश्क़ की भूमिका को पूर्ण रूप से नज़र अंदाज़ कर दिया था।

सीरिया ने अपनी संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करते हुए कुर्दों की मांग पर तुरंत एक्शन लिया, तो अंकारा और वाशिंगटन को अपनी इस भूल का अंदाज़ा हुआ। मास्को द्वारा सीरिया के इस क़दम के समर्थन से तुर्की की चिंता में और वृद्धि हो गई, जो सीरिया के इस इलाक़े पर क़ब्ज़ा करने का सपना सीरियाई संकट की शुरूआत से ही देख रहा है।

शनिवार को तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान ने इस पूरे प्रकरण पर बातचीत के लिए अपने विदेश मंत्री मौलूद चाउश ओग़लू और रक्षा मंत्री हुलुसी अकार को मास्को भेजा है। 2011 के बाद से सीरिया संकट के समस्त महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर नज़र डालने से यह नतीजा निकालना मुश्किल नहीं है कि तुर्की को हर बार की तरह इस बार भी सीरिया में विफलता ही हाथ लगेगी होगी।

साभार- ‘parstoday.com’