सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र को तीन महीने के भीतर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एन.सी.एस.टी.) के अध्यक्ष सहित तीन रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया।
मुख्या न्यायधीश जे एस खेहर और न्यायधीश डी वाई चंद्रचूड़ के बैंच ने आज सरकार को कहा की “किसी भी हालात में वे तीन महीने के अंदर तीन रिक्त स्थानों को भरे”। गौरतलब है की यह निर्णय बैंच ने एक जनहित याचिका को सुनते समय दिया जिसमे आरोप लगाया गया था की एन.सी.एस.टी. के इन रिक्त स्थानों के कारण यह संस्थाए गैर कार्यात्मक हो गयी हैं।
बैंच के समक्ष, केंद्र को “एडिशनल सॉलिसिटर (एइसजी)” “जनरल पी इस पटवालिया” प्रस्तुत कर रहे थे । उन्होंने बेंच से कहा की तीन रिक्त पदों को पहले से ही ३० दिसंबर, २०१६ के एक राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से भर दिया गया है और शेष तीन महीने के भीतर भर दिए जायँगे । पटवालिया के इस तर्क को सुनकर बैंच ने रिक्त स्थानों को भरने के लिये तीन महीने का समय दे दिया।
एइसजी ने न्यायलय को बताया की ‘अनुसुइया उइके’ एन.सी.एस.टी के उपाध्यक्ष और ‘हरी दामोदर’ और ‘हर्षदभाई चुनीलाल’ उसके सदस्य नियुक्त किये गए हैं ।
जनहित याचिका अधिवक्ता राधाकांत त्रिपाठी, जो अनुसूचित जनजाति से संबंधित मुद्दों पर काम करते हैं उन्होंने यह आरोप लगाया था की यह संस्था पूरी तरह निर्जीव और बेकार हो गयी है। उनका कहना था की सदस्यो की नियुक्ति न होने के कारण अनुसूचित जातियो की समस्याओ का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है और इसका देश के विकास पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है ।
“योजनाए, प्रस्ताव, नक्सलवाद का उन्मूलन और समावेशी विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक इन सभी मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता न मिले”, याचिका में कहा गया।