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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, किसने बनाया था राजीव गांधी की हत्या में इस्तेमाल हुआ बम?

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत के 26 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा है कि आखिर वह बम किसने बनाया था जिसका इस्तेमाल उनकी हत्या के लिए किया गया? जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को सरकार से बम को बनाने और उसकी सप्लाई की साजिश से जुड़ी जांच के संबंध में जवाब मांगा है.

राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को की गई थी. एक सुसाइड बॉम्बर महिला हार पहनाने के बहाने राजीव गांधी के करीब गई और उसने बम का ट्रिगर दबा दिया. गुरुवार को कोर्ट ने सरकार से जांच की प्रगति के संबंध में जानकारी मांगी. पूर्व पीएम की हत्या की जांच मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (MDMA) कर रही है.

बेंच ने एमडीएमए की पैरवी कर रहे वकील पीके डे से री-इनवेस्टिगेशन और आगे की जांच की एक रिपोर्ट कोर्ट में जमा कराने को कहा है. कोर्ट ने कहा, “हम चाहते हैं कि सॉलिसिटर जनरल या एडिशनल सोलिसिटर जनरल हमें इस मुद्दे पर जांच की स्थिति बताएं कि इस री-इनवेस्टिगेशन और आगे की जांच का क्या नतीजा रहा?” इस मामले की आगली सुनवाई बुधवार को होगी.

यह मुद्दा तब सामने आया जब एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि एमडीएमए की रिपोर्ट में इस संबंध में कोई क्लैरिफिकेशन नहीं है कि बम कैसे बनाया गया था, किसने बनाया और इसकी सप्लाई कैसे हुई. गोपाल शंकरनारायण के क्लाइंट एजी पेरारिवलन को इस मामले में उम्र कैद की सजा हुई है, उन पर बम में इस्तेमाल की गई दो बैटरियों की सप्लाई करने का आरोप है. शंकरनारायण ने कहा कि बम बनाने की साजिश के संबंध में रिपोर्ट मिलने से उन्हें अपने क्लाइंट को निर्दोष साबित करने में मदद मिल सकती है.

एमडीएमए का गठन 2 दिसंबर 1998 को सीबीआई की एक यूनिट के तौर पर हुआ था जिसका ब्रांच चेन्नई में है. यह सीबीआई की स्पेशल क्राइम डिविजन का हिस्सा है. इसमें सीबाआई और सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसियों के कई विशेषज्ञों को रखा गया है. इस एजेंसी का गठन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या से जुड़ी जांच पर नजर रखने और आवश्यकता पड़ने पर जांच करने के लिए किया गया था.

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