नई दिल्ली : गुलबर्गा सोसायटी में एक संग्रहालय की स्थापना के लिए अपने गैर सरकारी संगठन, सबरंग ट्रस्ट द्वारा एकत्र धन के कथित दुरुपयोग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुध के रोज़ 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुए जन नरसंहार के गवाह और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और उनके पति जावेद आनंद की अंतरिम ज़मानत 28 अप्रैल तक बढ़ा दी है |
इस ज़मानत को बढ़ाने से पहले , जस्टिस अनिल आर दवे, जस्टिस फककिर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला, ने अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि वे चीफ़ जस्टिस टी एस ठाकुर से बात करें |
इस मामले में गुजरात पुलिस द्वारा सीतलवाड़ और आनंद, की गिरफ़्तारी पर रोक लगाते हुए 19 फरवरी, 2015 को शीर्ष अदालत ने अंतरिम जमानत दे दी थी |
गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा 12 फ़रवरी को अग्रिम जमानत की याचिका को ख़ारिज किये जाने के बाद उन्होंने अपेक्स कोर्ट में अपील की थी | 28 जनवरी को, अदालत ने उनकी ज़मानत 18 मार्च तक के लिए बढ़ा दी थी |
कोर्ट एक दूसरी अर्ज़ी पर भी सुनवाई कर रहा है जिसमें सीबीआई द्वारा मुंबई हाईकोर्ट के अग्रिम ज़मानत के फैसले को चुनौती दी गयी है |इस मामले में मुंबई हाईकोर्ट ने कहा था कि ये मामला अकाउंट से संबंधित जाँच का है इसमें पुलिस कस्टडी की कोई ज़रूरत नहीं है और आरोपियों की देश छोड़ के जाने की भी कोई सम्भावना नहीं है |
उच्च न्यायलय ने तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर मुंबई हाईकोर्ट के 11 अगस्त 2015 के फैसले जिसमें कहा गया था कि ये विदेशी अधिनियम का उल्लंघन किया गया ,को चुनौती देते हुए सीबीआई को नोटिस जारी किया |
सीतलवाड़ ने तर्क दिया है की उच्च न्यायालय को ये कहने का कोई अधिकार नहीं है |