नई दिल्ली 18 मार्च: वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी की अव्वलीन आलमी सूफ़ी फ़ोरम में शिरकत के लिए आने पर भारत माता की जय के नारों से उनका इस्तेक़बाल किया गया। सूफ़ी तहरीक को रुहानी सुकून क़रार देते हुए मोदी ने कहा कि पैग़ंबर इस्लाम हज़रत मुहम्मद(सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) आज तक बुनियादी इक़दार रुहानी जुस्तजू ही रहे हैं। ताक़त के इस्तेमाल और अत्याचार से इस का कोई ताल्लुक़ नहीं है। अल्लाह रहामन और रहीम है यानी हमदरद और मेहरबान है। मोदी का पैग़ाम एक एसे वक़्त मंज़र-ए-आम पर आया है जबकि हुकूमत को अप्पोज़ीशन की फ़िर्कापरस्ती के मौज़ू पर ब्रहमी का सामना है और क़ौम परस्ती पर गर्मा गर्म बेहस जारी है।
वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी ने दहश्तगर्दी का हवाला देते हुए कहा कि बाज़ दहश्तगर्द ग्रुप सरकारी पालिसी और अज़ाइम के आला कार बने हुए हैं। उन्होंने पाकिस्तान का हवाला देते हुए कहा कि बाज़ ममालिक मुनज़्ज़म कैम्पों में दहश्तगरदों को तर्बीयत देते हैं। बाज़ दुसरे एसे हैं जिन्हें साइबर दुनिया से तहरीक मिली है।
उन्होंने कहा कि जब सूफ़ीइज़म की रुहानी मुहब्बत मौजूद हो तो दहश्तगर्दी की ताक़तें प्रवान नहीं चढ़ सकतीं। उन्होंने कहा कि दहश्तगर्दी और इंतहापसंद हमारे दौर में एक तबाहकुन ताक़त बन चुकी हैं जबकि अमन का पैग़ाम दुनिया-भर के लिए मुफ़ीद है। उन्होंने कहा कि हर साल 100 अरब डालर से ज़्यादा रक़म दुनिया को दहश्तगर्दी से महफ़ूज़ रखने के लिए ख़र्च की जाती है जबकि ये रक़म ग़रीबों के मियार-ए-ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए ख़र्च की जानी चाहीए थी। कई ममालिक के नौजवानों की दौलत इस्लामीया में शिरकत का तज़किरा करते हुए उन्होंने कहा कि वो इंटरनेट के ज़रीये दौलत इस्लामीया के ज़ाहिरी फ़लसफे से मुतास्सिर हुए हैं।
उन्होंने कहा कि वो हिन्दुस्तान के मुतवत्तिन हैं जो एक एसी सरज़मीन है जिससे अमन का अबदी चशमा फूटता है। बादअज़ां वज़ीर-ए-आज़म क़व्वालियों से भी लुतफ़ अंदोज़ हुए उन्हें अपनी मेज़ पर उंगलीयों से ताल देते हुए, कभी कभी तालियाँ बजाते हुए सूफ़ी क़व्वालियों से महज़ूज़ होते देखा गया।