देर से ही सही प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए तालीम महकमा ने तैयारी शुरू कर दी है। अभी तक अपनी माली हालात का हवाला देकर बीपीएल कोटे के बच्चों का दाखिला नहीं लेने वाले स्कूलों से तालीम महकमा इन्कम और खर्च का तफ़सीलात मांगने की तैयारी कर रहा है। महकमा ने यह कदम झारखंड छात्र मोर्चा की उस मांग पर उठाया है, जिसमें स्कूलों का ऑडिट कराने की मांग की गई है। मालूम हो कि मोर्चा की तरफ से मंगल को प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर पाबंदी लगाने के लिए डीएसई को मेमो सौंपा गया था, जिसमें स्कूलों की माली हालात समेत दाखिले की अमल की जांच कराने की मुतालिबात की गई है। इस पर नोटिस लेते हुए महकमा की तरफ से प्राइवेट स्कूलों से उनके सालभर के इन्कम और खर्च का तफ़सीलात मांगा जाएगा।
आरटीई के तहत हर साल देनी थी रिपोर्ट
डीएसई दफ्तर की मानें, तो रियासत में आरटीई के कानून के तहत लागू होने के साथ ही प्राइवेट स्कूलों को हर साल माली खाता की जांच चार्टर्ड एकाउंटेंट से कराकर उसकी रिपोर्ट तालीम महकमा को देनी थी। आरटीई के आगू होने के तीन साल बाद भी किसी स्कूल ने ऑडिट रिपोर्ट महकमा को नहीं सौंपी है।
इंतेजामिया ने नहीं दिया एडमिशन की तफ़सीलात
तालीम महकमा की तरफ से बार-बार प्राइवेट स्कूलों से इंट्री क्लास में दाखिले की तफ़सीलात मांगा गया, लेकिन ज़्यादातर स्कूलों ने महकमा को तफ़सीलात मूहैया नहीं कराया है। वहीं, कुछ स्कूलों ने आधा अधूरा तफ़सीलात दिया है। इससे नाराज तालीम महकमा स्कूलों की शिकायत इंसानी वसायल तरक़्क़ी महकमा से करने की तैयारी कर रहा है। मालूम हो कि डीएसई दफ्तर की तरफ से दाखिले का तफ़सीलात देने के लिए प्राइवेट स्कूलों को खत लिखा गया है। लेकिन, अभी तक ज़्यादातर स्कूलों ने अनदेखी की है।