हैदराबाद 30 दिसमबर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एक जज ने कहा कि हाई स्कूलस में जिन्सी तालीम को मुतआरिफ़ किए जाने के बाद नौ उमरी में बच्चों के ज़हन बिगड़ रहे हैं।
जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी ने कहा कि हाई स्कूलस में जिन्सी तालीम (बालिग़ों के तालीमी प्रोग्राम ) के नफ़ाज़ से सिर्फ़ नौ उम्र बच्चों के ज़हन ही बिगड़े हैं।
वालिदेन की ज़िम्मेदारी है कि वो अपने बच्चों को राहे रास्त पर लाएंगे। जस्टिस रेड्डी जो हाईकोर्ट लीगल सरविसस कमेटी के चैरमैन भी हैं कहा कि देरीना रिवायती मुशतर्का ख़ानदानी निज़ाम के सुकूत के बाद बच्चों में अदम तहफ़्फ़ुज़ का एहसास पैदा होगया है।
जस्टिस रेड्डी यहां क़ानून (इंसिदाद )जिन्सी जराइम 2012 के ज़रीये बच्चों का तहफ़्फ़ुज़ के ज़ेरे उनवान मीटिंग से ख़िताब कररहे थे। चीफ़ जस्टिस आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट कल्याण ज्योति सेन गुप्ता ने तास्सुर का इज़हार किया कि अगरचे क़ानून जिन्सी जराइम 2012के ज़रीये बच्चों को बचाने के लिए एक साल पहले क़ानून मंज़ूर किया जा चुका है लेकिन इस पर अमल आवरी के लिए अभि बहुत कुछ करना बाक़ी है।
जस्टिस सेन गुप्ता ने कहा कि पिछ्ले 20 साल के दौरान बच्चों के ख़िलाफ़ जिन्सी जराइम के वाक़ियात में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा देखा गया है।
उन्होंने इस लानत पर क़ाबू पाने के लिए मीडीया और पुलिस के रोल पर ज़ोर दिया। जस्टिस सेन गुप्ता ने इस किस्म के तमाम वाक़ियात की तौसीक़ के बाद ही ख़बररसानी के लिए मीडीया पर ज़ोर देते हुए कहा कि बच्चों के ख़िलाफ़ जिन्सी जराइम और इस्तिहसाल के वाक़ियात स्कूलों , देही इलाक़ों ,दवाख़ानों और दुसरे अवामी मुक़ामात में पेश आने की इत्तेलाआत मौसूल होती रहे हैं जिन्हें फ़िलफ़ौर ज़रूरी करवाई के ज़रीये रोका जा सकता है।
रियासती डायरेक्टर जनरल पुलिस बी प्रसाद राव ने कहा कि क़दीम तर्ज़ के मुशतर्का ख़ानदानी निज़ाम के ख़ातमे के बाद अब सिर्फ़ माँ बाप और बच्चों पर मुश्तमिल छोटे ख़ानदान के वजूद में आने के सबब एक एसी सूरते हाल पैदा हुई है जिस में माँ बाप अपने बच्चों को मतलूबा ख़ातिरख़वाह वक़्त और हक़ीक़ी शफ़क़त देने से क़ासिर महसूस कररहे हैं।
उन्होंने कहा कि अब इन (वालिदेन) की ज़िम्मेदारी घरेलू मुलाज़िमा और आया को सौंप दी गई है। प्रसाद राव ने कहा कि टी वी,सिनेमा,इंटरनेट और मोबाईल फोन्स इंतिहाई मनफ़ी साबित होरहे हैं और बच्चों के आदाद-ओ-अत्वार को बुरी तरह बिगाड़ रहे हैं।
डी जी पी ने कहा कि पुलिस को चाहीए कि वो जिन्सी जराइम के शिकार बच्चों के साथ ख़ैर सगाली और रहम दिल्ली से पेश आएं और उन्हें गाली ग्लोच या सख़्त ज़बान के ज़रये ना पेश आएं क्यूंकि जिन्सी जराइम के शिकार बच्चे ख़ौफ़ ,सदमा और सकते की हालत में होते हैं।