शहर की 7 नुमाइंदा मुस्लिम तंज़ीमों ने स्पेशल ऑफीसर वक़्फ़ बोर्ड की तरफ से हालिया अर्सा में तेलंगाना की अहम दरगाहों के मुतवल्लियों के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई पर शदीद रद्द-ए-अमल का इज़हार किया है।
इन तंज़ीमों से वाबस्ता उल्मा , मशाइख़ और मज़हबी शख़्सियतों ने गवर्नर ई एस एल नरसिम्हन से मुतालिबा किया कि वो फ़ौरी वक़्फ़ बोर्ड के उमूर में मुदाख़िलत करते हुए स्पेशल ऑफीसर को यकतरफ़ा कार्यवाईयों से बाज़ रखें। मौलाना मुफ़्ती ख़लील अहमद शेख़ इलजा मआ जामिआ निज़ामीया , मौलाना क़बूल पाशाह कादरी मोतमिद सदर मजलिस उलमाए दक्कन, मुफ़्ती सादिक़ मुही उद्दीन फ़हीम, मौलाना इसरार हुसैन रज़वी, मौलाना मसऊद हुसैन मजतहदी, मौलाना महमूद पाशाह कादरी ज़रीन कुलाह, मौलाना हामिद मुहम्मद कादरी,मौलाना सय्यद शाह राजू हुसैनी सानी, मौलाना औलिया-ए-हुसैनी मुर्तज़ा पाशाह, मौलाना अकरम पाशाह कादरी, मौलाना फ़ज़ल उल्लाह कादरी , मौलाना अहमद सईद कादरी और दूसरों ने प्रेस कांफ्रेंस से ख़िताब करते हुए स्पेशल ऑफीसर वक़्फ़ बोर्ड शेख़ मुहम्मद इक़बाल की तरफ से मुख़्तलिफ़ दरगाहों के मुतवल्लियों और शहर के तालीमी इदारों के ख़िलाफ़ की गई कार्यवाईयों की मज़म्मत की देढ़ माह से गवर्नर से मुलाक़ात का वक़्त मांगा जा रहा है लेकिन राज भवन से कोई जवाब वसूल नहीं हुआ। एक सवाल के जवाब में मौलाना क़बूल पाशाह ने कहा कि दरगाहों के अलावा तालीमी इदारों के ख़िलाफ़ की गई हालिया कार्यवाईयों की भी वो मज़म्मत करते हैं।
उन्होंने कहा कि अगर ओक़ाफ़ी इदारों में कुछ खामियां हैं तो उन्हें दरुस्त किया जा सकता है लेकिन स्पेशल ऑफीसर ने जो तरीका-ए-कार इख़तियार क्या वो मुनासिब नहीं। उन्होंने वज़ाहत की के मौलाना सय्यद अकबर निज़ाम उद्दीन साबरी के ख़िलाफ़ कार्रवाई बेबुनियाद इल्ज़ामात के तहत की गई। उन पर वक़्फ़ अराज़ी फ़रोख़त करने का इल्ज़ाम ग़लत है। उन्होंने कहा कि साबिर गुलशन की अराज़ी वक़्फ़ नहीं बल्कि मौलाना अकबर निज़ाम उद्दीन के आबा-ओ-अज्दाद की ज़ाती मिल्कियत है। उन्होंने वज़ाहत की के जिस अराज़ी की फ़रोख़त का इल्ज़ाम आइद किया जा रहा है , इस से मौलाना अकबर निज़ाम उद्दीन का कोई ताल्लुक़ नहीं। जिस शख़्स ने ख़ुद को जी पी ए जारी करते हुए अराज़ी फ़रोख़त की , वो बोग्स है , लिहाज़ा स्पेशल वक़्फ़ बोर्ड को चाहीए कि वो बोग्स जी पी ए के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें।