शम्स तबरेज़, सियासत न्यूज़ ब्यूरो।
लखनऊ: ग़ाज़ीपुर ज़िले के ज़मानियां विधानसभा में दिलदानगर गांव की बदरून निशा उस मरहूम किसान जमीलुद्दीन की बेवा है जिसने बीते दिनों 23 मार्च को एक ट्रक की चपेट में आकर अपनी जान गवां दी। बदरून निशा का परिवार बेहद गरीब और रोज़गार के कोई भी संसाधन नहीं है थोड़ी सी खेती है जिसमें परिवार का गुज़ार चलाना बड़ी बात है।
कौन है मृतक ज़मीलुद्दीन
जमीलुद्दीन की थोड़ी सी खेती है और दूसरों के खेत को लेकर साझी हिस्सेदारी में कार्य करते थे। जिसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में अधिया कहा जाता है अधिया का तात्पर्य होता है कि किसी व्यक्ति के खेत को कुछ समय के लिए आधे हिस्सेदारी में लेकर फसल उगाना जब फसल तैयार हो जाए तो उस फसल का आधा हिस्सा खेत के मालिक को मिलेगा और आधा हिस्सा खेती करने वाले खेतिहर मजदूर को।
ज़मीलुद्दीन की मौत की वजह
जमीलुद्दीन रोज़ाना की तरह सुबह सुबह खेत घूमने निकल जाते है आते वक्त अपने पोते के लिए दूध ले आते है। 23 तारीख को भी जमील इसी तरह अपनी साईकिल चलाकर खेत निकले थे तभी एक ट्रक की चपेट में आ गए और मौके पर उनकी मौत हो उनका एक पैर भी इस तरह इस हादसे में क्षतिग्रस्त हुआ मानो उनकी टांग उनके शरीर से निकल गई हो। मौके पर दिलदारनगर थाने की पुलिस पहुंची। शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टन के लिए भेज दिया।
मरहूम ज़मीलुद्दीन का परिवार बेसहारा हो गया
जमील की बेवा बताती हैं कि घर में उनका एक बेटा है किसी रोग के कारण विकलांगता का शिकार हो गया। जमील की मौत के बाद उनके परिवार में घर से बाहर का काम करने वाला भी कोई नहीं है यहां तक की गेहूं का आटा पिसाने वाला अगर कोई अभिभावक था तो वो उनके ज़मील थे अपने परिवार के लिए एक—एक पैसे का इंतेज़ाम करते थे, लेकिन अब वो इस दुनिया में नहीं रहे। उनके विकलांग बेटे के लिए रोज़गार का संकट गहराता जा रहा है। जमील का परिवार बेहद गरीब और उनकी दर्दनाक मौत उनके परिवार के लिए किसी कयामत से कम नहीं है।
नेताओं का हाल
जनप्रतिनिधियों की बात करें तो उनसे मिलने जमांनियां विधानसभा के पूर्व विधायक और अखिलेश सरकार में पटर्यन मंत्री रह चुके ओमप्रकाश सिंह उनके परिवार को सांत्वना देने आए थे और उनके पोते को टूटी हुई साईकिल के एवज़ में 3 हज़ार रूपए देकर चले गए और आश्वाषन दिया कि उनके परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान किया जाएगा।
दिलदारनगर गांव के ग्राम प्रधान की सियासत से बातचीत
सियासत से बात करते हुए दिलदानगर गांव के ग्राम प्रधान एहसान इदरीसी बताते हैं कि ज़मीलुद्दीन की जब दुर्घटना में मौत हुई तो उस समय पुलिस की गाड़ी आई और शव को लेकर पोस्टमार्टन के चली गई। ट्रक वाला तो भाग गया लेकिन पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ग्राम प्रधान एहसान ने बताया कि उनकी बताया ने ज़मील एक किसान था इसलिए उसको कृषि बीमा योजना के तहते ज़मील के परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान किया जाएगा।
लेखपाल की सियासत से बातचीत
यहां के लेखपाल जयनाथ राम बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति किसी कारण दुघर्टना में मौत हो जाती है तो उसके परिवार वालों को कृषि बीमा योजना के अन्तर्गत सरकार आर्थिक धनराशि उपलब्ध कराती है। चूंकि ये धनराशि लखनऊ से स्वीकृति प्रदान की जाती है, इस प्रक्रिया में लगभग दो माह तक का समय लग सकता है।
सत्ताधारी विधायक सुनीता सिंह इस घटना से बेखबर या जानकर भी अनजान?
सुनीता सिंह सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की नवनिर्वाचित विधायक हैं जो रोज़ाना क्षेत्र का दौरा करती हैं। चूंकि जमील की बेबा बदरून निशा एक महिला है, लेकिन सत्ता की चाकाचौध में ज़मानियां की विधायक शायद ये भूल गई कि वो भी एक महिला है और इस घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी उनको पता नहीं कि एक महिला का दर्द क्या होता है, सुनीता सिंह ज़मानिया विधानसभा की जनप्रतिनिधी है लेकिन सबका साथ, सबका विकास का नारा देने वाली भाजपा की सरकार में इस बेवा का सुध लेना वाले योगी सरकार में बिना भेदभाव विकास के एजेण्डे में सबसे पीछे नज़र आते हैं इसकी बड़ी वजह ये है कि राज्य में विधानसभा चुनाव का नम्बर पांच साल पर आता है और नेताओं के ज़िन्दाबाद के नारे अक्सर चुनावी मौसम में लगाए जाते हैं। शायद यही वजह हो सकती है बिना बरसात मेंढक भी टर टर नहीं करता।