स्वयं की भलाई और स्वयं की भक्ति होने लगे तो जनतंत्र मर जाता है -कन्हैया कुमार

68 वें गणतंत्र दिवस के रूप में देश ने 26 जनवरी को हमेशा की तरह राजपथ से ले कर ग्रामीण भारत तक देशवासियों ने तिरंगे को सलाम कर बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के नेतृत्व में बना देश के आइन 26 जनवरी के दिन लागू होने पर ख़ुशी ज़ाहिर की।

इस मौक़े पर देश भर में समविधान की रक्षा और इसमें बदलाव की कोशिश पर भी चर्चा की। वहीं जेएनयू के छात्र एवं जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने पाने फ़ेसबुक पेज पर जनतंत्र की रक्षा पर सवाल खड़े किए।

उन्होंने कहा कि ‘देश’ देश के लोगों से बनता है और देशभक्ति का मतलब लोगों की भक्ति (भलाई) है, लेकिन जब स्वयं की भलाई और स्वयं की भक्ति होने लगे तो जनतंत्र मर जाता है और इसीलिए गणतंत्र बचाने के लिए जन और जनतंत्र को बचाना जरूरी है, संवैधानिक मूल्यों व अपने हक के लिए लड़ना जरूरी है। इस लड़ाई में भगत सिंह से लेकर रोहित तक लोकतंत्र विरोधी ताकतों द्वारा फांसी पर चढ़ाऐ गये हैं। हमें इनकी कुर्बानियों को बेकार नहीं जाने देना है।

ग़ौरतलब है कि 9 फ़रवरी को जेएनयू में हुए विवादित कार्यक्रम के बाद कन्हैया कुमार को केंद्र सरकार के अधीन दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार कर दो हफ़्ते के लिए जेल में बंद कर दिया था। जिसके बाद से कन्हैया कुमार केंद्र की भाजपा सरकार के तानाशाही रवैये के ख़िलाफ़ देश भर में बोल रहे हैं।