सज़ा ख़त्म होने के बावजूद दर्जनों क़ैदी महरूस

सज़ा की मीयाद की तकमील के बावजूद भी हुकूमत की मुबय्यना लापरवाही का शिकार कई क़ैदी अपनी रिहाई के मुंतज़िर हैं जो जेलों में महरूस अपनी रिहाई के लिए एक एक लम्हे का इंतिज़ार कररहे हैं।

तक़रीबन दो दर्जन क़ैदीयों ने अपनी दस्तख़त पर मुश्तमिल एक तहरीरी नोट रोज़ नामा सियासत के नाम रवाना किया और मनीजिंग एडीटर सियासत जनाब ज़हीर उद्दीन अली ख़ान से दरख़ास्त की के वो नाइंसाफ़ीयों के ख़िलाफ़ जारी सियासत की जद्द-ओ-जहद में क़ैदीयों को इंसाफ़ दिलाएं ।

एक क़ैदी मुहम्मद शरीफ़ जो चेरला पली सेंट्रल जेल में क़ैद है अपनी दर्द भरी फ़र्याद सुनाई और तहरीरी तौर पर रवाना करदा अपने मकतूब में लिखा है कि सज़ा की मयाद मुकम्मल होने के बावजूद भी वो रिहाई के मुंतज़िर हैं।

ख़त के साथ तक़रीबन 2 दर्जन क़ैदीयों की दस्तख़त मुंसलिक है। क़ैदीयों ने रोज़नामा सियासत से दरख़ास्त की के अबदुल क़दीर की रिहाई के लिए जारी कोशिशों में हमें भी शामिल करलीं।

इस तरह उन के हक़ में आवाज़ उठाकर उन्हें इंसाफ़ दिलाएं। जुर्म के मुर्तक़िब और सज़ाक़े हक़दार होने के साथ साथ हम ने सज़ा भी मुकम्मल करली और किए गए गुनाह का हमें पछतावा भी है।

ताहम क़ानून में इस बात की गुंजाइश है कि बेहतरीन किरदार वाले क़ैदीयों की 7 साल की सज़ा मुकम्मल होने के बाद उन की रिहाई अमल में लाई जाती है।

मुहम्मद शरीफ़ का कहना है कि उसे अपनी बीवी के क़तल के केस में उम्र क़ैद की सज़ा हुई है और चूँकि 302 के साथ 498(A) दफ़ा भी था, इस तरह से उम्र क़ैद के साथ दो साल की मज़ीद सज़ा शामिल की गई । उस क़ैदी का कहना है कि जहेज़ हिरासानी का ये मुक़द्दमा 498(A) के तहत दर्ज किया जाता है इस का बहुत ग़लत इस्तिमाल होरहा है और क़ानून में मर्दों को किसी किस्म की मदद की गुंजाइश बाक़ी नहीं रहती है।

सज़ा के बाद भी 498(A) की वजह से क़ैदीयों पर इस जी ओ का इतलाक़ नहीं होता जिस के तहत उम्र क़ैद की तकमील और बेहतरीन किरदार वाले क़ैदी रहा हो सकीं।

क़ैदी ने मौजूदा चीफ़ मिनिस्टर से दरख़ास्त की और लिखा है कि एसे क़ैदीयों के हालात ज़ार पर तवज्जा दी जाये 498(A) के तहत क़ैद हैं। क़ैदीयों ने रोज़नामा सियासत के मनीजिंग एडीटर जनाब ज़हीर उद्दीन अली ख़ान से दरख़ास्त की के वो हुकूमत को इस इक़दाम के लिए राज़ी करते हुए उन की रिहाई के इक़दामात करें।