हज जिस्मानी-ओ-माली अज़ीम इबादत है। ख़ुशनसीब हैं वो लोग जिन को अल्लाह ताआला ने हज के लिए मुंतख़ब फ़रमाया।
इन ख़्यालात का इज़हार आज रूबी फंक्शन हाल में जाम मस्जिद इंतिज़ामीया कमेटी जगत्याल सदर बिसमिल्लाह ख़ां और अराकीन की तरफ से आज़मीन-ए-हज्ज की तर्बीयती नशिस्त में बहैसीयत सदर मौलाना मुश्ताक़ अहमद इमाम-ओ-ख़तीब जाम मस्जिद और मेहमान ख़ुसूसी मौलाना मज़हर अल क़ासिमी कोरटला ने मुख़ातब करते हुए किया।
उन्होंने आज़मीन-ए-हज्ज के लिए ज़रूरी हिदायात और मालूमात से वाक़िफ़ करवाते हुए कहा कि जिस तरह इंसान जिस्मानी पाकीज़गी के लिए साफ़ सफ़ाई और पाकीज़गी का एहतेमाम करता है इसी तरह हज दिल और रूह की पाकीज़गी के लिए बेहतरीन इबादत है।
उन्होंने कहा कि मैदान अर्फ़ात में दुआ की क़बूलीयत की जगह है लिहाज़ा आज़मीन-ए-हज्ज वहां पर दावें का एहतेमाम करें। उन्होंने आज़मीन-ए-हज्ज को ज़रूरी हिदायतें देते हुए कहा कि अपने साथ ग़ैर ज़रूरी सामान ना ले जाएं और क़ानूनी तौर पर मना करदी गई हैं इन चीज़ों को भी अपने साथ ना ले जाएं।
इस मौके पर तर्बीयती नशिस्त का आआज़ मौलाना मुश्ताक़ अहमद क़ासिमी की क़रा॔त ए कलाम पाक से हुआ। जगतयाली, अज़ीम उद्दीन राही, मुहम्मद आरिफ़ भाई और मौलाना मुश्ताक़ अहमद ने हमद बारी और नाअत शरीफ़ पेश की।
इस प्रोग्राम में बहैसीयत मेहमान ख़ुसूसी मुहम्मद रियाज़ ख़ान के अलावा आज़मीन-ए-हज्ज मुहम्मद अबदुलमुजीब, शौकत ख़ान, अबदुर्रहीम, शमस उद्दीन, रुकन उद्दीन, अबदुलालीम, मुनीर उद्दीन ने मेहमानों का इस्तिक़बाल किया।