हज हाउज़ में वाक़े अहमद शरीफ़ लाइब्रेरी के तहफ़्फ़ुज़ और उसे बाक़ायदा लाइब्रेरी की शक्ल देने के लिए वक़्फ़ बोर्ड उसे उर्दू अकेडमी के कंट्रोल में देने का मंसूबा रखता है। इस सिलसिले में बहुत जल्द कार्रवाई की तकमील की जाएगी।
हज हाउज़ जिस अराज़ी पर तामीर किया गया, वो साबिक़ में रज़्ज़ाक़ मंज़िल थी जिस के मंशा-ए-वक़्फ़ में लाइब्रेरी शामिल है, हज हाउज़ की तामीर के बाद इमारत के एक हिस्सा में मंशा-ए-वक़्फ़ की तकमील करते हुए अहमद शरीफ़ लाइब्रेरी क़ायम करदी गई लेकिन लाइब्रेरी पर हुक्काम की कोई तवज्जा नहीं है।
लाइब्रेरी में मौजूद नादिर और नायाब किताबों को शेल्फ़ में मुक़फ़्फ़ल कर दिया गया है और किसी को उन के मुताला की इजाज़त नहीं। कीमती किताबों के तहफ़्फ़ुज़ पर तवज्जा ना दीए जाने के सबब ये किताबें दीमक की ग़ज़ा बिन रही हैं। मंशा-ए-वक़्फ़ की तकमील के नाम पर हज हाउज़ की इमारत में बराए नाम लाइब्रेरी क़ायम करदी गई लेकिन वहां चंद अख़्बारात के सिवा कुछ नहीं।
लाइब्रेरी पहुंच कर मुताला करने वालों की तादाद भी बराए नाम है। लाइब्रेरी और इस में मौजूद किताबों के तहफ़्फ़ुज़ के सिलसिले में वक़्फ़ बोर्ड हुक्काम की दिलचस्पी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां एक अटेंडर को मुतैयन कर दिया गया जो अपनी मर्ज़ी से लाइब्रेरी की कुशादगी और बंद करने का अख़्तियार रखता है।
लाइब्रेरी में उर्दू के 2, तेलुगु 2 और अंग्रेज़ी का एक अख़बार आता है। इस के इलावा कोई दूसरे अख़्बारात और रसाइल मौजूद नहीं। बताया गया है कि स्पेशल ऑफीसर की जानिब से बहुत जल्द मकतूब उर्दू अकेडमी को रवाना किया जाएगा और लाइब्रेरी का कंट्रोल हासिल करने की दरख़ास्त की जाएगी।