हैदराबाद 23 जनवरी। मर्कज़ी हुकूमत की तरफ से आज़मीन-ए-हज्ज के लिए जारी करदा अहकामात हज 2013 के आज़मीन के लिए परेशान होसकते हैं। हज कमेटी के तवस्सुत से रवाना होने वाले आज़मीन ए हज्ज को हासिल सब्सीडी अब वो बतदरीज कम होने लगी है।
साल ए गुज़श्ता माह मेए के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हुकूमत को इस बात की हिदायत जारी की थी कि अंदरून दस बरस मर्कज़ी हुकूमत हज सब्सीडी में बतदरीज कमी लाते हुए उसे बिलकुल्लिया तौर पर ख़त्म करे। मर्कज़ी हुकूमत ने इस बात का फ़ैसला किया था कि अदालत के इन अहकामात पर दस साल के दौरान अमल किया जाये और बतदरीज सब्सीडी की रक़म को कम करते हुए ख़त्म किया जाये लेकिन विज़ारत-ए-ख़ारजा ने दो यौम पहले अहकाम जारी करते हुए सब्सीडी की रक़म फी कस ज़िंदगी में एक मर्तबा देने का फ़ैसला किया है।
हज 2013 के लिए जो लोग दरख़ास्तें दाख़िल करेंगे इन में हज कमेटी पहली मर्तबा हज बैतुल्लाह के लिए रवाना होने वालों को तर्जीह देगी। साबिक़ में हज कमेटी के तवस्सुत से पाँच साल के वक़फे से हज बैतुल्लाह की इजाज़त हुआ करती थी लेकिन मर्कज़ी हुकूमत की वज़ारत-ए-ख़ारजा के इन अहकामात के बाद अब ये हद मुकम्मल तौर पर ख़त्म होचुकी है जो लोग साबिक़ में अपनी ज़िंदगी में अगर हज बैतुल्लाह बुतो सत हज कमेटी करचुके हैं तो उन्हें हज कमेटी की तरफ से कोई सब्सीडी हासिल नहीं होगी बल्के हज कमेटी उन की दरख़ास्त को सिर्फ़ इस सूरत में क़बूल करेगी जब वो इस बात का हलफ़नामा दाख़िल करें कि उन्हों ने ज़िंदगी में अब तक हज नहीं किया है।
डाक्टर एस शाकिर हुसैन ( आई आर एस ) चीफ़ एगज़ीकेटव ऑफीसर मर्कज़ी हज कमेटी ने बताया कि वज़ारत-ए-ख़ारजा की तरफ से मर्कज़ी हज कमेटी को इस बात के अहकाम मौसूल होचुके हैं कि मर्कज़ी हज कमेटी सिर्फ़ और सिर्फ़ पहली मर्तबा हज बैतुल्लाह के लिए रवाना होने वालों की दरख़ास्तें क़बूल करे।
उन्हों ने बताया कि 18 जनवरी को जारी करदा अहकामात के मुताबिक़ वज़ारत-ए-ख़ारजा-ओ-हकूमत-ए-हिन्द ने सिर्फ़ उन लोगों को हज बैतुल्लाह के लिए रियायती अख़राजात पर हज कमेटी के तवस्सुत से रवाना करने का फ़ैसला किया है जो पहली मर्तबा हज बैतुल्लाह के लिए रवाना होरहे हैं।
हकूमत-ए-हिन्द के ये अहकाम एसे वक़्त पर जारी किए गए हैं जबके मर्कज़ी हज कमेटी ने हज 2013 के लिए मुकम्मल आलामीया जारी कर दिया है और ख़ाहिशमंद अफ़राद दरख़ास्तों के इदख़ाल और दीगर उमूर् की तकमील के लिए तैयारीयों का आग़ाज़ करचुके हैं। मर्कज़ी हज कमेटी की तरफ से हज 2013 का अमलन आग़ाज़ 6 फ़बरोरी 2013 से होगा और 20 मार्च तक दरख़ास्त फॉर्म्स वसूल किए जाने का फ़ैसला किया गया है। वाज़िह रहे कि साल-ए-गुज़श्ता माह मेए के दौरान अदालत-ए-उज़्मा ने हज सब्सीडी के ख़ातमा के मुताल्लिक़ एक दरख़ास्त की समाअत के बाद फ़ैसला सुनाते हुए हुकूमत को ये अहकाम जारी किए थे कि हुकूमत 10 साल के दौरान सब्सीडी में बतदरीज कमी लाए।
इस बात का तज़किरा ज़रूरी है कि हकूमत-ए-हिन्द की तरफ से फ़राहम की जाने वाली सब्सीडी आज़मीन-ए-हज्ज को सिर्फ़ टिकट की क़ीमतों में रियायत के तौर पर हासिल होती है चूँकि सब्सीडी के नाम पर दी जाने वाली रक़म तक़रीबन 600 करोड़ रुपये की रक़म हकूमत-ए-हिन्द अर इंडिया को हवाले करती है।
हकूमत-ए-हिन्द के इस फ़ैसले से ख़ानगी टूर आपरेटर्स के तवस्सुत से हज बैतुल्लाह के लिए रवाना होने वालों की तादाद में इज़ाफ़ा होसकता है। अलावा अज़ीं कई ख़ाहिशमंद जोकि मुतअद्दिद मर्तबा हज बैतुल्लाह के लिए रवाना होने वालों के बाइस दरख़ास्तों के इदख़ाल के बावजूद क़ुरआ में मुंतख़ब ना होते हुए हज की सआदत से महरूम होते हैं वो अब बाआसानी हज बैतुल्लाह के लिए रवाना हविपाएं गे। डाक्टर एस शाकिर हुसैन ने मज़ीद बताया कि हकूमत-ए-हिन्द के इस फ़ैसले के बाद मर्कज़ी हज कमेटी ज़िंदगी में पहली मर्तबा हज बैतुल्लाह की अदायगी के हलफ़नामा के बगै़र दरख़ास्त वसूल नहीं करेगी और दूसरी मर्तबा या एक से ज़ाइद मर्तबा रवाना होने की कोशिश करने वालों पर सख़्त नज़र रखी जाएगी।