हमस के शहर से जो बाग़ीयों का मैदाने जंग बना हुआ था बाग़ी जंगजू का आख़िरी ग्रुप भी तख़्लिया कर रहा है। इस से सदर शाम बशारुल असद की अलामती कामयाबी ज़ाहिर होती है। जब कि शाम में सदारती इंतिख़ाबात मुक़र्रर हैं जो इनेक़ाद से पहले ही मुतनाज़ा बन गए हैं।
बाग़ीयों ने हलब के तारीख़ी क़ल्ब में दोबारा हमला किया था और एक लक्झरी होटल को धमाका से उड़ा दिया था जिसे फ़ौज के मोरचा में तबदील कर दिया गया था जब कि इस के नीचे से सुरंग खोदी गई थी जो शाम के शुमाली शहर को तक़सीम करती थी। कम अज़ कम 1400 फ़ौजी और हुकूमत हामी नीम फ़ौजी जंगजू एक धमाका में हलाक हो गए।
शामी रसदगाह बराए इंसानी हुक़ूक़ के ब्यान के बामूजिब तक़रीबन एक हज़ार बाग़ी जंगजू क़दीम शहर हमस से रवाना हो चुके हैं। एक फ़ौजी एक मकान की छत पर चढ़ गया था और उस ने कहा कि ये पहली बार है जब कि वो निशाने बाज़ों से बेखौफ होकर छत पर चढ़ा है।