हमारी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जो उद्योग क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करे: वेंकैया नायडू

उपराष्‍ट्रपति श्रीएम. वेंकैया नायडू ने ज्यादा तेजी से और अधिक समावेशी विकास सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। उन्‍होंने कहा, ‘ज्ञान शीघ्र ही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का वाहक बन जाएगा और इसके साथ ही लोगों के रहन-सहन को बेहतर करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने लगेगा’।

उपराष्‍ट्रपति ने देश के विश्‍वविद्यालयों से इस दिशा में काम करने और भारत को वैश्विक स्‍तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली को नई दिशा देने को कहा। श्री वेंकैया नायडू ने इसके साथ ही देश के विश्‍वविद्यालयों से अपने अनुसंधान लक्ष्‍यों में सामंजस्‍य स्‍थापित करने को कहा, ताकि भारत के समक्ष मौजूद वास्‍तविक चुनौतियों से सही ढंग से निपटा जा सके।

उपराष्‍ट्रपति भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्‍थापित इंदिरा गांधी विकास शोध संस्‍थान के 16वें दीक्षांत समारोह को आज मुंबई में संबोधित कर रहे थे। उन्‍होंने उच्‍च शिक्षा के एक उत्‍कृष्‍ट केन्‍द्र के साथ-साथ राष्‍ट्रीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय विकास से जुड़ी चिंताओं पर विचार-विमर्श के एक प्रभावशाली केन्‍द्र के रूप में भी स्‍वयं को स्‍थापित करने के लिए इस संस्‍थान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उपराष्‍ट्रपति ने इस अवसर पर 43 स्‍नातक विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान कीं और इसके साथ ही उत्‍कृष्‍टता के लिए एक स्‍वर्ण पदक भी प्रदान किया।

इस अवसर पर उपराष्‍ट्रपति ने विकास एवं तरक्‍की की चर्चा की और भारत में तेजी से हो रहे आ‍र्थिक विकास तथा राजकोषीय स्थिति में आई सुदृढ़ता पर प्रकाश डाला। श्री नायडू ने कहा कि उभरती अर्थव्‍यवस्‍था जैसे कि भारत अंतर्राष्‍ट्रीय प्रथाओं या तौर-तरीकों के अनुरूप नये नियम-कायदे बनाने का क्रम आगे भी जारी रखेगा। उन्‍होंने कहा कि कर सुधारों की बदौलत भारत में कर आधार धीरे-धीरे बढ़ रहा है और इसके साथ ही देश में सामाजिक मानकों में बदलाव दिखने को मिल रहा है जिसके तहत ज्‍यादातर लोग अब कर अदा करना चाहते हैं, जबकि वे पहले कर अदायगी से कतराते थे।

उपराष्‍ट्रपति ने यह राय व्‍यक्‍त की कि भारत में युवाओं की बड़ी आबादी एक अवसर है और इसके साथ ही एक चुनौती भी है। उन्‍होंने कहा कि प्रत्‍येक वर्ष श्रमबल में शामिल होने वाले 12 मिलियन युवाओं के लिए रोजगार तलाशना और कम उत्‍पादकता वाले कृषि कार्यों से लाखों लोगों द्वारा दूसरे क्षेत्रों में काम तलाशना अत्‍यंत कठिन काम है।

श्री नायडू ने विशेष बल देते हुए कहा कि शिक्षा का वास्‍ता केवल रोजगार पाने से ही नहीं, बल्कि ज्ञान एवं विवेक के जरिए लोगों को सशक्‍त बनाने से भी है, ताकि उनकी काबिलियत बढ़ सके। उन्‍होंने कहा कि समावेशी विकास के साथ-साथ किसी भी तरह के भेदभाव की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए यह अत्‍यंत जरूरी है कि सभी लोगों को और सभी स्‍तरों पर गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा सुलभ हो।

उपराष्‍ट्रपति ने विशेष जोर देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि भारत एक बार फिर वैश्विक ज्ञान केन्‍द्र (हब) के रूप में उभरकर सामने आए। उन्‍होंने ज्ञान केन्‍द्रों विशेषकर विश्‍वविद्यालयों से ऐसे जीवंत बौद्धिक खोज केन्‍द्रों के रूप में स्‍वयं को स्‍थापित करने को कहा जहां अकादमिक उत्‍कृष्‍टता और सामाजिक प्रासंगिकता कामयाबी के महत्‍वपूर्ण स्‍तंभ हों। उपराष्‍ट्रपति ने यह राय भी व्‍यक्‍त की कि हमारी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जो उद्योग एवं सेवा क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करे।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में कृषि क्षेत्र की विशिष्‍ट अहमियत का उल्‍लेख करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि हमें अपने कृषि क्षेत्र को लाभप्रद बनाने के लिए इस सेक्‍टर में विभिन्‍न तरह के ढांचागत बदलाव लाने में संकोच नहीं करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों जैसी सुविधाएं सुनिश्चित करने संबंधी पूर्वराष्‍ट्रपति डॉ.ए.पी.जे. अब्‍दुल कलाम के सपने का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि हमें देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल, स्‍ट्रीट लाइट, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं और दूरसंचार सेवाएं मुहैया कराने की आकांक्षा रखनी चाहिए, ताकि शहरी क्षेत्रों की भांति ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी जीवन-यापन और कामकाज में आसानी हो सके।

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत को किफायती प्रौद्योगिकी, निवेश और ऊर्जा हासिल करने के लिए अन्‍य देशों से घनिष्‍ठ सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि उसकी घरेलू चुनौतियों से पार पाया जा सके। उन्‍होंने इस उभरते एवं अनिश्चित परिदृश्‍य से पार पाने के लिए उपयुक्‍त आर्थिक एवं विदेश नीतियां बनाने का आह्वान किया।

श्री नायडू ने वैज्ञानिकों, तकनीकीविदों और अभियंताओं से ताजा घटनाक्रमों से स्‍वयं को अवगत रखने और नई प्रौद्योगिकियां अपनाने को कहा। उन्‍होंने यह दलील दी कि तेजी से एकीकृत हो रहे विश्‍व में भारत की भी प्रगति सुनिश्चित करने के लिए नई तकनीकों को अपनाना अत्‍यंत आवश्‍यक है। उपराष्‍ट्रपति ने कहा, ‘हमें निश्चित तौर पर ऐसे क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए, जहां हमें प्रतिस्‍पर्धी दृष्टि से बढ़त हासिल है और इसके साथ ही हमें इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।’

उन्‍होंने स्‍नातक की शिक्षा हासिल कर रहे विद्यार्थियों से सर्वोत्‍तम पारम्‍परिक मूल्‍यों को संरक्षित रखने का तरीका सीखने को कहा। उपराष्‍ट्रपति ने इसके साथ ही विद्यार्थियों से नकारात्मकता से दूर रहने, सकारात्मक नजरिया विकसित करने और सामाजिक दृष्टि से जागरूक, सहानुभूतिपूर्ण एवं शांतिप्रिय रहने को कहा। उन्‍होंने कहा, ‘विद्यार्थियों को रचनात्‍मक नजरिया विकसित करना चाहिए तथा जो भी काम वे कर रहे हैं, उनमें प्रवीणता हासिल करने पर उन्‍हें और ज्‍यादा फोकस करना चाहिए।’

इंदिरा गांधी विकास शोध संस्‍थान के निदेशक डॉ. एस. महेन्‍द्र देव, डीन डॉ. जयति सरकार और अन्‍य गणमान्‍य जन भी इस अवसर पर उपस्थित थे।