21 मई को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगान ने जेरूसलम के प्रति तुर्की के कर्तव्य को बताते हुए कहा कि तुर्की फिलिस्तीनियों को हक़ दिलाये जेरूसलम मुद्दे से नहीं हटेगा।
एर्दोगान ने कहा कि, “हम जेरूसलम पर अपने अधिकारों को कभी ना छोड़ने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। एर्दोगान ने राजधानी में राजदूतों के साथ एक इफ्तर पार्टी के दौरान कहा कि, “हम अपने पहले किबले (जिस दिशा में मुस्लिम नमाज़ पढ़ते है) को खून से रंगते हुए नहीं देख सकते। दशकों से इजराइल फिलिस्तीनी ज़मीन पर बेगुनाहों का खून भा रहा है।
एर्दोगान ने आगे कहा कि, “जब तक कि जेरूसलम सभी तीन धर्मों के लिए शांति और गरिमा का घर नहीं बन जाता, तब तक हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।” अमेरिका के बारे में जेरूसलम में अपने दूतावास को स्थानांतरित करने के बारे में राष्ट्रपति एर्दोगान ने कहा कि अमेरिका के हाथ “फिलीस्तीनी बच्चों के खून से रंगे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले दिसंबर में एक अंतरराष्ट्रीय अशांति की शुरुआत की, जब उन्होंने एकतरफा रूप से जेरूसलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दी और वाशिंगटन के दूतावास को शहर में स्थानांतरित करने की प्रतिज्ञा की और अब अपने इस बेबुनियादी फैसले को पूरा किया जिसने दुनियाभर के मुस्लिमों में गुस्सा फैला दिया है।
अमेरिका ने दूतावास को आधिकारिक तौर पर 14 मई को स्थानांतरित कर दिया गया था, जिससे हजारों फिलिस्तीनियों ने इजरायल से गाजा को अलग करने वाली सुरक्षा बाड़ के नजदीक प्रदर्शन किया जिसके बाद इसरायली सैनिकों ने फिलिस्तीनियों पर घातक हमले किये जिसमें 62 फिलिस्तीनी शहीद हुए और 3,000 घायल हुए।
14 मई को अमेरिका ने जेरूसलम में यूएस एम्बेसी का उदघाटन करते वक़्त फिलिस्तीनी ज़मीन पर मासूम और बेगुनाह फिलिस्तीनियों का खून बहाया। एर्दोगान ने कहा कि, “अमेरिकी प्रशासन को अब मानवाधिकार, लोकतंत्र और शांति पर बात करने का अधिकार नहीं है।
वर्तमान क्षेत्रीय तनावों का जिक्र करते हुए, एर्दोगान ने बताया कि संकट को सुलझाने के साधन के रूप में अब अमेरिका और इजराइल के साथ राजनयिक सम्बन्ध खराब हो रहे है।